अंधेरी ईस्ट सीट के उप चुनाव के लिए शिंदे व उद्धव गुट ने अपनी-अपनी पार्टी के नाम व चुनाव चिह्न चुनाव आयोग को सौंप दिए हैं। अब गेंद चुनाव आयोग के पाले में है। आयोग को इस पर निर्णय करना है। चुनाव आयोग की तरफ से बताया गया कि दोनों गुटों ने अपने वकीलों के माध्यम से लिस्ट उनके पास भेजी है।
ध्यान रहे कि आयोग ने आगामी उपचुनाव में शिवेसना के नाम और चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर रोक ला दी थी। आयोग ने कहा था कि उद्धव व शिंदे गुट शिवसेना के नाम व निशान का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। नए चुनाव चिह्न व नाम को लेकर दोनों गुटों को आज तक का समय दिया गया था। अभी तक शिवसेना पर उद्धव ठाकरे का वर्चस्व था। लेकिन जिस तरह से उनकी पार्टी में भगदड़ मची उसके बाद शिंदे गुट दावा कर रहा था कि असली शिवसेना वो है। धनुष व तीर पर शिंदे गुट का अपना दावा है।
शिंदे गुट का कहना है कि शिवसेना के बहुत से नेता अब उनके खेमे में हैं। जिसके पास बहुमत है वो ही पार्टी का असली मालिक है। लेकिन उद्धव का कहना है कि एकनाथ शिंदे ने अपनी मर्जी से शिवसेना छोड़ी थी। वो कैसे दावा कर सकते हैं कि शिवसेना पर उनका हक है। दशहरा रैली के दौरान भी उद्धव ठाकरे ने शिवसेना पर कब्जे को कोशिश के लिए शिंदे को जमकर खरी खोटी सुनाई थीं।
उद्धव ठाकरे का कहना है कि शिंदे बाला साहेब का नाम चोरी करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना था कि अगर शिंदे में हिम्मत है तो वो अपने पिता के नाम पर वोट मांगकर दिखाए। उनके पिता के नाम की आड़ में वो खुद को क्यों छिपा रहे हैं।
उधर शिंदे का कहना है कि बेटा होने से ही कोई उत्तराधिकारी नहीं बनता। जो उत्तराधिकारी होता है वो बेटा होता है। दशहरा रैली के दौरान शिंदे ने दादर के बीकेसी ग्राउंड पर रैली की तो उद्धव ने शिवाजी पार्क से हुंकार भरी थी। उद्धव को झटका तब लगा जब शिंदे के मंच पर उनके भाई जयदेव ठाकरे भी दिखे।