देश की दो सेंट्रल यूनिवर्सिटीज अब हिन्दू स्टडी पर पीजी कोर्स कराने जा रही है। इसके लिए बकायदा कोर्स भी तैयार किया जा चुका है और नामंकन प्रक्रिया हो चुकी है और क्लास भी शुरू हो चुका है। इन यूनिवर्सिटीज की मानें तो इसमें हिन्दू धर्म के बारे में छात्रों को पढ़ाया जाएगा।

दो केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने हिंदू अध्ययन में अपनी तरह का पहला मास्टर डिग्री प्रोग्राम शुरू किया है जो जाति व्यवस्था को समावेशी के रूप में पेश करता है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम विकसित किया है, इस पाठ्यक्रम को दिल्ली के श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने भी अपना लिया है। अब इस यूनिवर्सिटी में भी हिन्दू स्टडी का कोर्स शुरू किया गया है। इसमें एडमिशन लेने के लिए किसी भी विषय से ग्रेजुएट होना अनिवार्य है।

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार इन दो संस्थानों ने वर्तमान शैक्षणिक वर्ष से यह कोर्स शुरू किया है। इसमें एडमिशन लेने वाला एक विदेशी छात्र भी है। सूत्रों के अनुसार इन यूनिवर्सिटीज के अलावा जेएनयू और गुजरात के केंद्रीय विश्वविद्यालय भी इस तरह का कोर्स शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

बीएचयू के भारत अध्ययन केंद्र के समन्वयक सदाशिव द्विवेदी ने कहा कि यह कार्यक्रम संस्कृत शास्त्रों और हिंदू समाज के बारे में “गलतफहमियों” को दूर करने के लिए भी है। द्विवेदी ने पाठ्यक्रम को डिजाइन करने में मदद की है।

द्विवेदी ने दावा किया कि जाति व्यवस्था इस आधार पर समावेशी थी कि “बढ़ईगीरी और आभूषण बनाने जैसे कलात्मक कौशल” शूद्रों को दिए गए थे। उन्होंने सबूत के रूप में “अर्धनारीश्वर, भगवान जो आधी महिला हैं” की अवधारणा का हवाला दिया कि हिंदू शास्त्र लिंग-तटस्थ थे।

इस कोर्स के पाठ्यक्रम में 16 पेपर शामिल हैं, जिनमें से नौ अनिवार्य और सात वैकल्पिक हैं। इसमें संस्कृत भाषा पर एक कोर पेपर है। वैकल्पिक विषयों में – वैदिक/जैन/बौद्ध परंपराओं के सिद्धांत, वेदांग, पाली/प्राकृत भाषा और साहित्य, भारतीय नैतिकता, नाट्य, तुलनात्मक धर्म, पुराण परिचय, भारतीय वास्तुकला, साहित्यिक सिद्धांत, (प्राचीन) भारतीय सेना विज्ञान, कला, कानून और न्यायशास्त्र शामिल हैं।