आम आदमी पार्टी (आप) ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दो सदस्यों को बागी नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की ओेर से पिछले दिनों आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लेने पर गुरुवार को पार्टी से निलंबित कर दिया। पार्टी ने योगेंद्र और प्रशांत के समर्थन में खुलकर आने के लिए उत्तर प्रदेश के नेता राकेश सिन्हा और विशाल शर्मा लाठे को निलंबन नोटिस भेजा है।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी के निर्वाचित सदस्य सिन्हा ने एल रामदास को पार्टी के आंतरिक लोकपाल पद से और प्रशांत को अनुशासन समिति के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के तौरतरीके पर सवाल उठाए थे। लाठे ने चार मार्च को प्रशांत और योगेंद्र को राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से हटाने के प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया था। सिन्हा और लाठे ने प्रशांत और योगेंद्र को अपना पक्ष रखने का मौका दिए बगैर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर नेतृत्व को आड़े हाथ लिया था।

बीते 28 मार्च को प्रशांत और योगेंद्र की ओर से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के ये दोनों सदस्य मौजूद थे। प्रशांत और योगेंद्र ने पार्टी की शीर्ष नीति निर्माण इकाई से खुद को निकाले जाने के बाद यह संवाददाता सम्मेलन किया था।

आप के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लेने के कारण उत्तर प्रदेश के इन दोनों नेताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है। पार्टी के सचिव पंकज गुप्ता की ओर से लाठे को भेजे गए ई-मेल में कहा गया कि राष्ट्रीय अनुशासन समिति को मिली शिकायत और इस पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों द्वारा की गई चर्चा के आधार पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अनुशासनात्मक कार्यवाहियों के लंबित रहने तक आपकी प्राथमिक सदस्यता निलंबित करने का फैसला किया है।

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लाठे ने कहा कि 14 मार्च को पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह मुरादाबाद आए थे और मुझसे कहा था कि मैं 28 मार्च को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले जाने के प्रस्ताव के समर्थन में वोट दूं। उन्होंने कहा- चार मार्च को मैंने प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पीएसी से निकालने के प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया था। उस वक्त मैं जानता था कि मैंने राजनीतिक खुदकुशी कर ली है।

उधर, सिन्हा ने आप के सचिव पंकज गुप्ता को 30 मार्च को चिट्ठी लिखकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी से प्रशांत और योगेंद्र की बर्खास्तगी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने लिखा था – मैं आपके संज्ञान में यह बात लाना चाहता हूं कि मुझे इस बैठक के बारे में कुछ पत्रकारों से जानकारी मिली, जिन्होंने मुझसे जानना चाहा कि क्या मैं राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा ले रहा हूं। मुझे आश्चर्य हुआ और मैंने सोचा कि यह जरूर पीएसी की बैठक होगी। इसलिए मुझे कोई सूचना नहीं मिली। मुझे आपके कार्यालय से 18 मार्च को एक एसएमएस मिला कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले या बाद में कोई अन्य बैठक नहीं होगी।

सिन्हा ने लिखा – आपके एसएमएस में कहा गया कि यह एक आपात बैठक थी लेकिन यह नहीं बताया गया कि मुझे इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई। सूत्रों ने कहा कि राकेश सिन्हा को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निलंबित करने का निर्णय रविवार को लिया गया। सिन्हा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के उन सदस्यों में शामिल हैं जिन्होंने योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी की पीएसी से हटाने का विरोध किया था। उन्होंने 28 मार्च को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से वाकआउट किया था जब दो असंतुष्ट नेताओं को समिति से हटाया गया था।

योगेंद्र और भूषण को पहले पीएसी और फिर राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाए जाने के मुद्दे पर तमिलनाडु से आप नेता क्रिस्टिना सैमी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बुधवार को इस्तीफा दे दिया था। योगेंद्र, भूषण, अजीत झा और आनंद कुमार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाए जाने और सिन्हा को निलंबित करने व सैमी के इस्तीफे के बाद आप की दूसरी महत्त्वपूर्ण निर्णायक संस्था के सदस्यों की संख्या 16 रह गई है।