कर्नाटक में ईसा मसीह की मूर्ति गिराए जाने पर शनिवार (7 मार्च, 2020) को गीतकार जावेद अख्तर ने तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद एक भारतीय होने के नाते उनका सिर शर्म से झुक गया। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘हालांकि मैं नास्तिक हूं, लेकिन कर्नाटक सरकार के आदेश का पालन करते हुए पुलिस ने ईसा मसीह की मूर्ति को गिरा दिया। इससे एक भारतीय होने के नाते मेरा सिर शर्म से झुक गया।’ उन्होंने कहा कि भारत में पहले चर्च की आधारशिला मुगल सम्राट अकबर के काल में रखी गई थी। अकबर के समय में उन्हीं की अनुमति और आशीर्वाद से आगरा में भारत का पहला चर्च बनाया गया था।
जावेद अख्तर के इस ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स ने भी प्रतिक्रियाएं दी हैं। एक यूजर्स आईसपोर्टकपिलमिश्रा @Bihar2delhi लिखते हैं, ‘दिन में कितनी बार शर्मिंदगी महसूस करते हैं?’ इसके जवाब में जावेद अख्तर ने लिखा, ‘जब-जब तुम जैसों का ध्यान आता है। तुम जैसे हमारे देश की एक बीमारी हैं।’ अभिषेक सिन्हा @Lucknowkanawab ट्वीट कर लिखते हैं, ‘फरहान अख्तर ने भी ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ में रघुपति सहाय का शेर पढ़ा था। याद नहीं आ रहा है हमें… क्या था वो शेर?’ इसपर गीतकार ने लिखा, ‘शाम भी थी धुआं-धुआं, हुस्न भी था उदास-उदास, दिल को कई कहानियां याद सी आ के रह गईं।’
उल्लेखनीय है कि 5 मार्च को बेंगलुरु के महिमा बेट्टा स्थित ईसा मसीह की प्रतिमा को प्रशासन ने धर्मांतरण का आरोप लगने के बाद गिरा दिया था। बताया गया कि दोद्दासागरहल्ली गांव में मौजूद चर्च के बारे में सोशल मीडिया पर अफवाह थी कि वहां प्रार्थना के बहाने लोगों का धर्मांतरण कराया जाता है। कथित तौर पर प्रशासन और लोकल्स की मीटिंग में स्थानीय लोगों ने साफ किया था कि चर्च में कोई धर्मांतरण नहीं होता और इसके यहां होने से उन्हें कोई परेशानी नहीं है।