सियासत में अशोक गहलोत को जादूगर का तमगा हासिल है। ये नाम उन्हें यूं ही नहीं मिला। गहलोत राजनीतिक बिसात को बखूबी समझते हैं और समय के मुताबिक अपने मोहरे आगे बढ़ाते हैं। यही वजह है कि दिग्गज राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट को राजस्थान की राजनीति में उन्होंने दो बार मात दे दी। यही नहीं सोनिया गांधी के सबसे विश्वस्त माने जाने वाले अहमद पटेल की गुजरात में डूबती नाव को किनारे पर उन्होंने ही पहुंचाया।
गहलोत और पायलट के बीच की रस्साकसी पुरानी है। तब पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे। 2018 का असेंबली चुनाव उनकी ही अगुवाई में लड़ा गया था। गहलोत तब सीनियर नेता और पूर्व सीएम ही हैसियत से सक्रिय थे। कांग्रेस ने बीजेपी को चारों खाने चित करके सरकार बना ली। यहां से गहलोत की जादूगरी शुरू हुई। सचिन बेशक सूबे के अध्यक्ष थे। लेकिन सीएम की कुर्सी गहलोत के पास गई। सचिन मायूसी से हाथ मलते ही रह गए।
सचिन की ख्वाहिशों पर बंदिश नहीं लगी। गहलोत के सीएम बनने के बाद उन्होंने एक अदद तख्ता पलट की कोशिश की। 2020 के कोरोना काल में सचिन पायलट 18 विधायकों के साथ हरियाणा के एक होटल में जा बैठे। 12 जुलाई को खबर फैली कि राजस्थान में गहलोत सरकार अल्पमत में आ गई है। पायलट ने दावा किया उनके पास कांग्रेस के 30 और 3 निर्दलीय विधायक हैं।
लेकिन 14 अगस्त 2020 को गहलोत विधानसभा में बहुमत साबित करते हैं। पायलट गुट भी सदन में सरकार के पक्ष में खड़ा नजर आता है, क्योंकि गहलोत ने व्हिप का दांव खेल दिया था। व्हिप का उल्लंघन करने पर विधायकी जाने का खतरा था। गहलोत अपनी जादूगरी से पायलट को ठिकाने लगाकर सरकार बचा लेते हैं।
2017 में नरेंद्र मोदी के गढ़ गुजरात में गहलोत ने अपना जादू दिखाया। गुजरात की 3 राज्यसभा सीटों पर चुनाव था। अहमद पटेल को सोनिया गांधी ने मैदान में उतारा था। लेकिन कांग्रेस में बगावत हो गई। गहलोत को गुजरात रवाना किया गया। नतीजा सबके सामने है। अहमद पटेल विजयी होकर सामने आए। यही नहीं 2017 के गुजरात चुनाव में उनकी ही रणनीति कारगर रही, जिसकी वजह से कांग्रेस ने बीजेपी की सांस तक फुला दी थी।
बेशक कांग्रेस में इस समय काफी उठापटक है। कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हो रहा है। गांधी परिवार गहलोत को अपने कैंडिडेट के तौर पर उतारने का ख्वाहिशमंद था। लेकिन वो राजस्थान सीएम को लेकर अड़ गए। उनकी शर्त है कि पायलट सीएम नहीं बनेंगे। खबर है कि जो कुछ बीते एक हफ्ते में हुआ उससे हाईकमान नाराज है। लेकिन जानकारों का कहना है कि जादूगर फिर से कोई ऐसा दांव खेलेगा जो सभी को लाजवाब कर देगा।