लोकसभा में गुरुवार (25 जुलाई 2019) को लोकसभा में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) बिल ध्वनिमत से पास कर दिया गया। बिल के पक्ष में कुल 303 वोट पड़े जबकि विरोध में 99 वोट। ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ पर चर्चा के दौरान पक्ष और विपक्षी की जमकर जुबानी जंगी हुई। मतविभाजन के समय कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने तीन तलाक को फौजदारी मामला बनाने के प्रावधान का विरोध करते हुए सदन से वाकआउट किया।

अपने संबोधन के दौरान कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि वह मोदी सरकार में मंत्री हैं राजीव गांधी मंत्रिमंडल के मंत्री नहीं। उन्होंने कहा कि ‘उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद 24 जुलाई तक तीन तलाक के 345 मामले दर्ज किए गए हैं। क्या हम इन महिलाओं को सड़क पर छोड़ दें? मैं नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हूं न कि राजीव गांधी सरकार का मंत्री।’

उन्होंने कहा कि अगर 1986 में यह काम हो गया होता तो हमारे लिए नहीं छोड़ा गया होता। उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद भी तीन तलाक के मामले जारी रहने के कारण ही इस पर कानून लाए जाने की जरूरत है। सदन में महिलाओं से जुड़े कानून पहले भी पास किए गए हैं। इसी सदन में दहेज के खिलाफ कानून लाया गया। तीन तलाक का विरोध करने वाले बताएं कि उन्होंने महिलाओं के लिए क्या किया।’

रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा ‘कौन-सा धर्म महिलाओं के खिलाफ नाइंसाफी करने को कहता है। अगर कोई नियमों का पालन कानून तरीके से तलाक लेता है तो इसमें कोई समस्या नहीं है लेकिन अगर ऐसा नहीं होगा तो यह अपराध की श्रेणी में गिना जाएगा। हर धर्म के लिए कोई न कोई कानून है चाहे वह हिंदू धर्म हो या फि पारसी। पैगम्बर मोहम्मद साहब ने भी तीन तलाक को सही नहीं माना था।’

इससे पहले जब कानून मंत्री ने इसे पारित कराने का प्रस्ताव किया तो कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी तीन तलाक को फौजदारी मामला बनाने का विरोध करती है और सरकार विपक्ष की बात नहीं सुन रही है। उन्होंने कहा कि हमारे बार बार कहने पर भी तीन तलाक को फौजदारी मामला बनाने का प्रावधान विधेयक में बनाए रखा गया है।