तृणमूल पार्टी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक टिप्पणी की थी। उन्होंने लिखा था, “इस सत्र के पहले 12 दिन में मोदी-शाह ने 12 बिल पारित कराए। प्रत्येक बिल को संसद में औसतन सात मिनट मिले। विधेयक पारित कर रहे हैं या पापड़ी चाट बना रहे हैं।’
इतना ही नहीं, इसके बाद उन्होंने मंगलवार को दिल्ली के साउथ एवेन्यू स्थित तृणमूल कांग्रेस के दफ्तर में चाट पापड़ी की पार्टी भी की। डेरेक ओ’ब्रायन ने यह कहा कि उनका इरादा गंभीर मुद्दे पर लोगों से जुड़ने के लिए एक सांस्कृतिक मुहावरे का उपयोग करना था। उन्होंने पूछा कि अगर वो पापड़ी-चाट के बजाय ‘ढोकला’ शब्द का इस्तेमाल करते तो क्या प्रधानमंत्री खुश होते?
मीडियाकर्मियों को चाट: ओ’ब्रायन ने कहा कि मैं लोगों की भाषा में बोलता हूं। मैंने एक गंभीर तथ्य लिया है और संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए एक लोकप्रिय सांस्कृतिक मुहावरे का इस्तेमाल किया है। टीएमसी की लोकसभा सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने तो मंगलवार को मीडियाकर्मियों को ‘चाट’ का नाश्ता भी कराया।
उल्लेखनीय है कि संसद के मानसून सत्र में अब तक एक दर्जन से अधिक विधेयक पारित हो चुके हैं। सदन में विधेयक पारित होने की गति पर कई विपक्षी पार्टियों ने सत्ता पक्ष को घेरने की कोशिश भी की। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ’ब्रायन ने भी सरकार को नहीं बख्शा। उन्होंने एक ट्वीट के जरिये बिल पास होने की प्रक्रिया की तुलना चाट पापड़ी बनाने से कर दी।
उनके इस ट्वीट की चर्चा देशभर में हुई। केवल ट्विटर पर ही इस पोस्ट को साढ़े तीन हजार से ज्यादा लाइक्स मिले। डेढ़ हजार लोगों ने इसे रिट्वीट किया और लगभग एक हजार लोगों ने इस पर कमेंट भी किया है। डेरेक ने अपनी पोस्ट में पास हुए हर बिल का नाम और उसके पारित होने में लगे समय को ग्राफिक के माध्यम से समझाया था।
ब्रायन ने सरकार पर संसद की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने लिखा है कि सबसे कम समय यानी एक मिनट में कोकोनट डेवलपमेंट बोर्ड बिल पारित कराया गया। जबकि सबसे ज्यादा 14 मिनट में एयरपोर्ट्स इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया बिल पारित कराया गया।
उनके इस कमेंट को संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने अपमानजनक बताया। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर नाराजगी जताई और इसे जनता का अपमान कहा। उन्होंने कहा कि सदन में कागज छीन लेना, उसके टुकड़े कर फेंकना और माफी भी ना मांगना अहंकार को दर्शाता है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले ही तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांतनु सेन ने सूचना संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथों से पेगासस मुद्दे पर बयान की प्रति छीन ली थी और उसे हवा में लहरा दिया था। बाद में सेन को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। पिछले दिनों ऐसी ही एक घटना लोकसभा में भी हुई थी।
गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हुआ था और पेगासस, किसान आंदोलन जैसे मुद्दों पर हंगामे की वजह से अभी तक किसी भी दिन पूरी तरह से कामकाज नहीं हो सका है।