Indian Railway’s Train Cleanliness Survey 2018: भारतीय रेल की कुल 77 प्रीमियम ट्रेनों में से तीन शताब्दी ट्रेनें सबसे साफ रहती हैं। इनमें पुणे-सिकंदराबाद, हावड़ा-रांची और चेन्नई सेंट्रल-मैसूर रूट की गाड़ियां शामिल हैं, जबकि तीन दुरंतो (मुंबई सीएसटी- नागपुर, इलाहाबाद-नई दिल्ली व सराय रोहिला-जम्मूतवी) ट्रेनें इन 77 में सबसे गंदी रहती हैं। ये बातें हाल ही में रेलवे के एक सर्वे में सामने आई हैं, जो कि बीते साल हुआ था।

‘ट्रेन क्लीनलीनेस सर्वे 2018’ के मुताबिक, 23 राजधानी ट्रेनों में मुंबई-नई दिल्ली राजधानी सबसे स्वच्छ ट्रेन बताई गई, जबकि साफ-सफाई के मामले में नई दिल्ली-डिब्रूगढ़ की हालत सबसे खस्ता रहती है। नॉन-प्रीमियम ट्रेनों की साफ-सफाई से जुड़ी रैंकिंग की बात करें तो सर्वे में तिरुपति-जम्मूतवी, बांद्रा जयपुर और भुवनेश्वर-कृष्णाराजपुरम को सबसे स्वच्छ पाया गया। ये तीनों ही मेल/एक्स्प्रेस श्रेणी वाली ट्रेनें हैं। वहीं, सबसे गंदी नॉन-प्रीमियम ट्रेनों में गुवाहाटी-जोरहाट जन शताब्दी, पुरी-तिरुपति (मेल/एक्सप्रेस) और मुंबई सीएसटी-हावड़ा (मेल/एक्सप्रेस) शामल हैं।

सर्वे में कुल 210 ट्रेनों को शामिल किया गया था, जिसमें प्रीमियम और नॉन-प्रीमियम ट्रेनों को शामिल किया गया था। इन ट्रेनों को लेकर लगभग 15 हजार यात्रियों से प्रतिक्रियाएं ली गईं, जिसमें उनसे दो पैमानों के आधार पर रेटिंग करने को कहा गया था। पहला- टॉयलेट की साफ-सफाई और दूसरा- बोगियों में अपर्याप्त स्वच्छता।

हालांकि, सर्वे को अभी तक जनता के बीच सार्वजनिक नहीं किया गया है। रेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कुछ कारणों से सर्वे अभी तक जारी नहीं किया जा सकता है। हम इस पर काम कर रहे हैं। यह सर्वे रेलवे की पर्यावरण और गृह व्यवस्था इकाई ने कराया है, जिसे प्रोसेस ऑडिट, डायरेक्ट ऑबजर्वेशन और पैसेंजर फीडबैक के जरिए अंजाम दिया गया।

रेलवे अधिकारी ने बताया, ये चीज है बड़ी चुनौती: ट्रेनों के भीतर टॉयलेट को साफ रखना सबसे कठिन काम होता है। रेलवे के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर अंग्रेजी अखबार से कहा, “औसतन ट्रेन की बोगियों में एक टॉयलेट दिन में कम से कम 60 बार इस्तेमाल किया जाता है।” ऐसे में शताब्दी ट्रेनों के मामले में टॉयलेट की सफाई को लेकर यात्रियों की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही, जबकि दुरंतों के टॉयलेट बेहद गंदे पाए गए।”