मोदी सरकार ने आतंकवाद और पाकिस्तान प्रायोजित हिंसा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष मजबूती से रखने के लिए एक विशेष ‘ऑपरेशन सिंदूर प्रतिनिधिमंडल’ शुरू किया है। इसके तहत सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 32 देशों और यूरोपीय यूनियन मुख्यालय ब्रुसेल्स का दौरा करेंगे। लेकिन इस कूटनीतिक मिशन से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने खुद को अलग कर लिया है।

सरकार ने इस प्रतिनिधिमंडल में पूर्व क्रिकेटर और बहरामपुर से टीएमसी सांसद युसुफ पठान को भी शामिल किया था। हालांकि अब कहा जा रहा है कि पार्टी ने उन्हें इस दौरे में हिस्सा लेने से रोक दिया है। टीएमसी ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उसका कोई भी नेता विदेश जाने वाली इस टीम का हिस्सा नहीं बनेगा। इसको लेकर पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है।

सांसद आतंकवाद पर “जीरो टॉलरेंस” की नीति पूरी दुनिया को बताएंगे

मोदी सरकार ने यह निर्णय हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद लिया है। सरकार का उद्देश्य दुनिया को यह बताना है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर चलता है और पाकिस्तान की भूमिका को बेनकाब करना उसका कर्तव्य है।

इस प्रतिनिधिमंडल में सभी प्रमुख दलों के नेता शामिल हैं। इनमें बीजेपी के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, कांग्रेस के शशि थरूर, डीएमके की कनिमोझी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे और जेडीयू के संजय कुमार जैसे नाम शामिल हैं। साथ ही, गुलाम नबी आजाद, एमजे अकबर, सलमान खुर्शीद और आनंद शर्मा जैसे पूर्व केंद्रीय मंत्री भी इस अभियान में शामिल होंगे, भले ही वे अब संसद सदस्य न हों।

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टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि विदेश नीति केंद्र सरकार का विषय है और वही इसकी जिम्मेदारी ले। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पार्टी देश की सुरक्षा में सरकार के प्रयासों का समर्थन करती है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी पूरी तरह केंद्र की होनी चाहिए।

उधर, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि अगर केंद्र सरकार राष्ट्रीय हित में कोई फैसला लेती है तो टीएमसी उसका समर्थन करेगी। उन्होंने साफ किया कि प्रतिनिधिमंडल में कौन जाएगा, यह फैसला हर पार्टी खुद लेगी, न कि केंद्र सरकार।