Tripura Assembly Elections में दमदार प्रदर्शन करने वाली टिपरा मोथा पार्टी की चर्चाएं पूरे देश में हो रही हैं। टिपरा मोथा ने त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर चुनाव लड़ा और वो 13 सीटें जीतने में सफल रही है। त्रिपुरा में क्षेत्रीय पार्टी बनकर उभरी टिपरा मोथा ने BJP-IPFT गठबंधन और लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन के वोट प्रतिशत में महत्वपूर्ण पैठ बनाई। साल 2021 में ग्रेटर टिपरालैंड की मांग को लेकर बनाई गई इस पार्टी का मुख्य जोर राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से जनजातीय बहुल 20 सीटों पर रहा। जनजातीय लोगों ने इस नई नवेली पार्टी पर भरोसा भी किया।
टिपरा मोथा ने 42 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 13 सीटों पर उसने जीत हासिल की। पार्टी को लगभग 19 प्रतिशत मत मिले। क्षेत्रीय पार्टी के उम्मीदवार सुबोध देब बर्मा ने चरिलाम निर्वाचन क्षेत्र में उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा को 850 से अधिक मतों से हराया। BJP-IPFT गठबंधन ने गुरुवार को विधानसभा चुनाव में 33 सीटें जीतकर सत्ता तो बरकरार रखी लेकिन 2018 के मुकाबले उसे 10 सीटों का नुकसान हुआ।
BJP ने 55 सीटों पर चुनाव लड़ा और 32 सीटों पर जीत हासिल की, जो 2018 की तुलना में तीन कम है। पार्टी को 38.97 प्रतिशत मत मिले। आपसी गुटबाजी से प्रभावित IPFT सिर्फ एक सीट विधानसभा सीट जीतने में सफल हुई जबकि पांच साल पहले उसे आठ सीटें मिली थीं। इस बार उसका वोट प्रतिशत सिर्फ 1.26 फीसदी रहा।
दो साल पहले पूर्ववर्ती राजघराने के वंशज प्रद्योत किशोर देबबर्मा द्वारा बनाई गई नई पार्टी ने वाम-कांग्रेस गठबंधन के जनजातीय मतों में भी सेंध लगाई है। इस गठबंधन को कुल 14 सीटें हासिल हुईं। वर्ष 2021 में त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) चुनावों में भागीदारी के साथ टिपरा मोथा का चुनावी राजनीति में प्रवेश हुआ था। इस चुनाव में 28 में से 18 सीटों पर भारी जीत के साथ उसने एक छाप छोड़ी थी।
वरिष्ठ पत्रकार संजीब देब ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि क्षेत्रीय पार्टी का भविष्य उज्ज्वल होगा क्योंकि टिपरा मोथा के नेतृत्व के लिए अगले पांच साल में पार्टी के सभी विधायकों को पार्टी के भीतर संभाले रखना चुनौती होगी।’’ उन्होंने कहा कि पिछले साल बिप्लब कुमार देब की जगह माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया जाना BJP के लिए सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए ‘‘चमत्कार’’ साबित हुआ।
साल 2018 के विधानसभा चुनावों में IPFT की लोकप्रियता पर सवार BJP ने राज्य की राजनीति के इतिहास में पहली बार 10 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें जीतीं और उसकी सहयोगी IPFT ने वामपंथी दलों की हार सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई थी। उसने इस चुनाव में आठ सीटों पर परचम लहराया था।
सांसद और भाजपा की प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष रेबती त्रिपुरा ने कहा, “हालांकि BJP ने 60 सदस्यों वाली विधानसभा में साधारण बहुमत हासिल किया है, लेकिन पार्टी को संगठन को मजबूत करने के लिए पहाड़ी इलाकों में कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। 32 सीटों पर जीत BJP के लिए एक चेतावनी भी है। हमें अगले पांच वर्षों में जनजातीय क्षेत्र में पैठ बनाने के लिए एक टीम के रूप में काम करने की जरूरत है।” (भाषा)