Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में बिल्डर और बैंक के सिंडिकेट की जांच के लिए सीबीआईसे प्रस्ताव मांगा है। जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने सीबीआई से कहा कि दो हफ्ते में बताएं कि कैसे जांच करेंगे? सीबीआई की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि इस काम का दायरा काफी बड़ा होगा। एएसजी ने सुझाव दिया कि शुरुआत में ग्रेटर नोएडा के एक-दो प्रोजेक्ट की जांच की जा सकती है। कोर्ट ने मामले में मदद के लिए एक सलाहकार भी नियुक्त किया है।

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि हमें डेपुटेशन पर अधिकारियों की जरूरत होगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपकी (CBI) एक एक्सपर्ट टीम है और ये सभी मामले आर्थिक अपराधों से जुड़े हैं। अगर पहली नजर में कोई मामला बनता है, तो यह आपकी जांच का हिस्सा होगा। इस गड़बड़ी को किस तरह सुलझा सकते हैं, इस पर डिटेल रिपोर्ट दें। मदद के लिए एडवोकेट राजीव जैन को हम कोर्ट सलाहकार बना रहे हैं।

बता दें, मामला एनसीआर के होम बायर्स की शिकायतों से जुड़ा है, जिसमें फ्लैट मिले बगैर ही बैंक EMI चुकाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। एक वित्तीय संस्था की तरफ से सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एक बिल्डर दिवालिया प्रक्रिया में गया तो फाइनेंसर जिम्मेदार नहीं हो सकता। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वित्तीय संस्थान दोषी हैं, उन्हें पता था कि साइट पर एक ईंट भी नहीं रखी गई है, फिर भी फंड जारी करते रहे। हम कैसे मान लें कि आपके (वित्तीय संस्थान) के हाथ साफ हैं।

नोएडा अथॉरिटी को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

वहीं, NCLT के आदेश को चुनौती देने पहुंची नोएडा अथॉरिटी को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि जमीन का बकाया निपटाया जा सकता है। आपने खुद ही इस समस्या को जन्म दिया है। ऐसा स्ट्रक्चर क्यों बनाया, जो बिल्डर के फेवर में था? इस कारण ही हजारों घर खरीदार एक दशक से ज्यादा समय से परेशान हो रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले में अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए एसआईटी गठित करने की भी बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एनबीसीसी को नोटिस जारी किया है।

NCLT ने सुपरटेक के 16 अधूरे प्रॉजेक्ट को नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (NBCC) को सौंपने का निर्देश दिया था, ताकि वह उसे पूरा कर सके। सुप्रीम कोर्ट ने 21 फरवरी को एनसीएलएटी के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें उसने एनबीसीसी को सुपरटेक लिमिटेड की रुकी हुई 16 हाउसिंग परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में नियुक्त किया गया था।

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सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच के सामने नोएडा अथॉरिटी की ओर से पेश हुए एडवोकेट संजीव सेन ने दलील दी कि कंपनी दिवालिया कार्रवाई से गुजर रही थी, तब एनबीसीसी को यह प्रोजेक्ट दिया गया था। यह आदेश एनसीएलएटी के जूरिडिक्शन से बाहर का था। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने एनबीसीसी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली दो अपीलों पर सुनवाई की थी।

कोर्ट ने बायर्स के बारे में चिंता जताई और सभी संबंधित पक्षों को पिछली सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किए थे। बेंच ने यह जांचने का फैसला लिया कि क्या एनसीएलएटी ने एनबीसीसी की नियुक्ति के दौरान इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत सही प्रक्रिया अपनाई थी या नहीं। NCLT ने पिछले साल 12 दिसंबर को अपने आदेश में एनबीसीसी को सुपरटेक की रुकी हुई 16 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कहा था, जिसकी अनुमानित लागत 9 हजार 500 करोड़ रुपए थी। बता दें, 27 हजार से ज्यादा होमबायर्स अपने घरों का इंतजार कर रहे हैं।

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