हिंसा प्रभावित पश्चिम बंगाल में चर्चित पंचायत चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। मंगलवार (11 जुलाई) को सामने आए नतीजों में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने दार्जिलिंग और कलिम्पोंग को छोड़कर हर जिले में जीत हासिल की है। दूसरे नंबर पर भाजपा रही है और वाम-कांग्रेस गठबंधन कुछ खास करिश्मा इस चुनाव में नहीं दिखा पाया है।
पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद जिन खास पहलुओं पर बात होनी चाहिए उनमें से एक इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) है। ISF बंगाल में मुस्लिम इलाकों में एक ताकत के रूप में उभर रहा है। ISF ने इस चुनाव में अपने गढ़ भांगर में अच्छा प्रदर्शन किया है। सीपीआई (एम) और भूमि अधिग्रहण विरोधी समिति के साथ आईएसएफ का गठबंधन भांगर के कुछ ब्लॉकों में टीएमसी को कड़ी टक्कर दे रहा था, जहां चुनावों में सबसे खराब हिंसा देखी गई थी।
‘यह जनादेश नहीं’
बंगाल भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने नतीजों को लेकर कहा कि यह जनादेश नहीं है, अब चुनाव के बाद हिंसा शुरू हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय बलों को ठीक से तैनात नहीं किया गया था, संवेदनशील बूथों पर डेटा साझा नहीं किया गया था और केंद्रीय बलों की मौजूदगी के बावजूद 45 लोगों की हत्या से पता चलता है कि यह राज्य प्रायोजित हत्याएं थी।
बंगाल जाएगी भाजपा सांसदों की एक टीम
बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने जानकारी दी है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सांसदों की एक टीम नियुक्त की है जिसे बंगाल के हिंसा प्रभावित इलाकों में जाना है। सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, “अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सांसदों की एक टीम गठित की है जिसका मैं संयोजक हूं, जो बंगाल में ग्राम पंचायत चुनाव के मद्देनजर बड़े पैमाने पर हिंसा, हत्या, बम विस्फोट से प्रभावित सभी क्षेत्रों का दौरा करने जा रही है।”
2018 से किस तरह अलग हैं इस बार के नतीजे
मंगलवार देर शाम तक ग्राम पंचायतों के नतीजों में तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने 29,665 सीटें हासिल कर ली थीं और भाजपा को 8021 सीटें मिली थीं। कांग्रेस-वाम गठबंधन को 4689 सीटें हासिल हुई थीं। चुनाव 63219 पर हुआ था।
देर शाम तक चली की गिनती तक तृणमूल ने 3,317 ग्राम पंचायतों में से 69 प्रतिशत पर कब्जा कर लिया था जबकि प्रमुख विपक्षी दलों ने लगभग 11 प्रतिशत ग्राम पंचायतों पर नियंत्रण हासिल कर लिया था।
राज्य चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में ग्राम पंचायतों में TMC को 78 प्रतिशत से ज़्यादा वोट हासिल हुआ था जबकि भाजपा के पास लगभग 12 प्रतिशत और वाम-कांग्रेस के पास लगभग छह प्रतिशत सीटें थीं। पंचायत समितियों में TMC के पास 87 प्रतिशत से अधिक सीटें थीं, और जिला परिषद की 96 प्रतिशत सीटें थीं।
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यह उम्मीद जताई जा रही थी कि वाम-कांग्रेस गठबंधन मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में खास प्रदर्शन दिखाएगा क्योंकि हाल ही में हुए उपचुनाव में मुर्शिदाबाद की सागरदिघी विधानसभा सीट से कांग्रेस ने जीत हासिल कर ममता बनर्जी को सकते में डाल दिया था। लेकिन पंचायत चुनाव के नतीजों में टीएमसी आगे दिखाई दी है।