यह शोध ‘एगेवांते कीमी’ नाम के रसायन शास्त्र की शोध पत्रिका में छपा है। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति को लेकर बहुत सी धारणाएं हैं। वैज्ञानिक भी इसे लेकर अभी तक एकमत नहीं हुए हैं। अब भारतीय मूल के वैज्ञानिक-शोधकर्ता की अगुआई में हुए अध्ययन में इस विषय को लेकर नए तथ्य सामने आए हैं। शोध में यह पता चला है कि पृथ्वी पर शुरुआती जीवन के निर्माण में आरएनए और डीएनए के मिश्रण का योगदान हो सकता है।

भारतीय मूल के रामनारायण कृष्णमूर्ति की अगुआई में कैलिफोर्निया के ‘स्क्रिप्स रिसर्च’ में हुआ यह शोध ‘एगेवांते कीमी’ नाम के जर्नल में छपा है। इस अध्ययन में दर्शाया गया है कि एक सरल यौगिक, जिसे डाइअमीनोफॉस्फेट (डीएपी) कहते हैं जो पृथ्वी पर जीवन आने से पहले ही मौजूद था। यह रासायनिक तौर पर डीएनए से मूल तत्वों- डीआॅक्सीन्यूक्लियोसाइड्स के जरिए जुड़ गया होगा और फिर उससे पुरातन डीएनए के तुंतु बने होंगे। यह खोज चौंकाने वाली मानी जा रही है।

यह पड़ताल पिछले कुछ साल की खोजों के सिलसिले की ताजा कड़ी है जो दर्शाती है कि डीएनए और उसके नजदीकी रासायनिक संबंधी आएनए समान रासायनिक क्रियाओं का नतीजा थे और पहले खुद ही पैदा होने वाले अणु यानी पृथ्वी पर जीवन के पहले रूप दोनों का मिश्रण था। माना जा रहा है कि इस खोज से आधुनिक जीवों के बारे में भी जीव विज्ञान काफी समृद्ध हो सकेगा।

कृष्णमूर्ति का यह शोध आने वाले समय में स्वयं की प्रतिलिपि करने वाले डीएनए-आरएनए मिश्रण पर होने वाले विस्तृत शोधों के लिए एक मजबूत आधार का काम करेगा। इस विषय पर होने वाले शोध इस बात पर भी काफी खुलासा कर सकते हैं कि इन मिश्रणों के साथ जीवन का विकास कैसे हुआ और वह समय के साथ पृथ्वी पर कैसे फला-फूला और फैला जिससे जटिल जीवों का विकास हो सका।

कृष्णमूर्ति का कहना है कि पुरातन रसायन में शुरुआती डीएनए और आरएनए के निर्माण की बेहतर समझ के साथ ही हमें इस दिशा में और प्रयोग कर सकते हैं, जिससे कृत्रिम संश्लेषण की दिशा में मदद मिल सकती है, जैसे कोविड-19 के टेस्ट में पीसीआर तकनीक नाजुक एंजाइम पर निर्भर है, जिससे बहुत सी सीमाएं आ जाती हैं।

ये सीमाएं कृत्रिम संश्लेषण से तोड़ी जा सकती हैं। माना जा रहा है कि इस खोज से आधुनिक जीवों के बारे में भी जीव विज्ञान काफी समृद्ध हो सकेगा। इस खोज से रसायनशास्त्र और जीव विज्ञान में व्यवहारिक उपयोग के नए आयाम खुल सकते हैं।

इस शोध से लंबे समय से उलझे सवाल का जवाब मिल सकता है कि पृथ्वी पर जीवन कैसे पनपा। इससे खुद ही पनपने वाले डीएनए-आएनए के मिश्रण की विस्तृत अध्ययन के रास्ते भी खुलने की संभावना है जिसमें खास तौर पर उनके पुरातन पृत्वी पर उद्भव और प्रसार पर अधिक अध्ययन हो सकेगा।

इस शोध की सबसे खास बात यही है कि इसने एक साथ कई क्षेत्रों में आयाम खोल दिए हैं। पुराने रहस्यों पर नई रोशनी के साथ इससे अब शोधकर्ताओं को भी आकर्षक विकल्प मिलेंगे। फिर भी अभी जीवन की उत्पत्ति के बारे में काफी सवाल अनुत्तरित हैं, जिनका जवाब तलाशना जारी है।