सतर्क नागरिक संगठन’ की संस्थापक और वर्ष 1999 से जवाबदेही और पारदर्शिता के सवाल पर अपनी आवाज बुलंद करने वालीं अंजलि भारद्वाज को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के द्वारा हाल ही में स्थापित ‘इंटरनेशनल एंटी करप्शन चैंपियंस अवार्ड’ के लिए चुना गया है।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में 180 देशों में भारत के 86वें स्थान पर फिलसने से दुखी होने वालों के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है। अंजलि भारद्वाज भारत की सामाजिक कार्यकर्ता और प्रशासनिक जवाबदेही एवं पारदर्शिता की मुखर समर्थक हैं। अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार अंजलि पिछले दो दशक से भी अधिक समय से सूचना के अधिकार आंदोलन की एक सक्रिय सदस्य रही हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘दुनियाभर में भ्रष्टाचार के कारण सुरक्षा और स्थायित्व खतरे में है।

यह आर्थिक वृद्धि को रोकता है, लोकतंत्र और मानव अधिकारों को कमजोर करता है, सार्वजनिक संस्थानों के प्रति विश्वास को खत्म करता है, अपराध को बढ़ाता है और निजी एवं सार्वजनिक संसाधनों को हड़प जाता है। बाइडेन प्रशासन इस बात से वाकिफ है कि हम प्रतिबद्ध लोगों के साथ काम करके इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

यह ऐसे साहसी लोग हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ डटकर खड़े हैं।’ अंजलि भारद्वाज के अलावा दुनिया भर के 11 अन्य लोगों को यह सम्मान दिया गया है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि यह पुरस्कार उन लोगों को मान्यता प्रदान करता है जिन्होंने पारदर्शिता की रक्षा, भ्रष्टाचार को समाप्त करने और अपने देशों में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किए।

अंजलि ने 2003 में ‘सतर्क नागरिक संगठन’ की स्थापना की जो सूचना के अधिकार के माध्यम से सरकारी नुमाइंदों की जवाबदेही को बेहतर बनाने में मदद करता है और उनके संगठन द्वारा जन प्रतिनिधियों के कामकाज की लगातार समीक्षा की जाती है। वह 2008 में स्थापित आरटीआइ आकलन और सलाहकार समूह के साथ काम करती रही हैं, जिसे सूचना का अधिकार कानून के कार्यान्वयन पर नजर रखने के लिए गठित किया गया था।

उन्हें 2009 में सामाजिक भागीदारी बढ़ाने में योगदान के लिए ‘अशोका फैलोशिप’ प्रदान की गई थी। उन्हें सरकार में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए 2011 में लेडी श्री राम कॉलेज का ‘आॅनर रोल’ प्रदान किया गया था। दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली स्कूल आॅफ इकोनामिक्स और आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वालीं अंजलि भारद्वाज ने वर्ल्ड बैंक के ऊंचे ओहदे को छोड़कर भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को अपने जीवन का लक्ष्य बनाने का फैसला किया और उनका मानना है कि पिछले दो दशक में कतार में सबसे पीछे खड़े लोगों को भी यह समझ में आने लगा है कि वह हाकिमों के हर फैसले के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं।

अंजलि सवाल पूछने की ताकत को लोकतंत्र की सच्ची मजबूती बताती हैं। इस सम्मान के लिए ट्विटर के माध्यम से अमेरिका सरकार को धन्यवाद देते हुए उन्होंने लिखा, ‘यह देश के उन लोगों और संगठनों के सामूहिक प्रयासों का सम्मान है जो जवाबदेही तय करने की ताकत रखते हैं।