Allahabad HC Judgements: इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर भाजपा की राज्यसभा सांसद रेखा शर्मा ने सवाल खड़े किए हैं। रेखा शर्मा ने कहा कि मुझे लगता है कि जज बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं हैं। उनको देखना चाहिए कि लोगों की मंशा क्या है। मंशा पर पनिशमेंट मिलनी चाहिए। न कि रेप होगा तभी सजा होगी।

NCW की पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि जजों का रेप का इंतजार नहीं करना चाहिए। विक्टिम को बचाना है, लड़कियों के बचाना है। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह के जजमेंट आएंगे तो महिलाएं और बच्चे कहां जाएंगे। शर्मा ने कहा कि अगर जज ही संवेदनशील नहीं होंगे तो हमारी बच्चियों का क्या होगा?

NCW को सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए- रेखा शर्मा

रेखा शर्मा ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ NCW को सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। साथ ही एक याचिका दायर करनी चाहिए। यह जरूरी है कि इस तरह के लोगों को बताया जाए फिर चाहें वो जज ही क्यों न हों, वो ऐसी बात नहीं कर सकते या ऐसे जजमेंट नहीं दे सकते।

राज्यसभा सांसद ने कहा कि जब ऐसे जजमेंट आएंगे तो लोग कैसे सीरियसली लेंगे, वो तो कहेंगे कि हमने तो कपड़े ही उतारे, रेप नहीं किया। शर्मा ने कहा कि बड़ी बात यह है कि आप बच्ची के कपड़े क्यों उतारेंगे। अगर आप रेप नहीं करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट यह फैसला पूरी तरह से गलत है।

बता दें, राज्यसभा सांसद रेखा शर्मा का यह बयान इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद आया है। जिसमें नाबालिग लड़की के स्तन को पकड़ना, उसके पायजामे के नाडे को तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना रेप या रेप की कोशिश के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि नाबालिग लड़की के स्तन को पकड़ना, उसके पायजामे के नाडे को तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना रेप या रेप की कोशिश के तहत अपराध नहीं माना जाएगा। हाईकोर्ट ने अपने इस फैसले के आधार पर कासगंज जिले के तीन आरोपियों को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ ट्रायल कोर्ट से जारी समन आदेश में बदलाव करने को कहा है।

हाईकोर्ट ने आरोपियों की तरफ से दाखिल की गई क्रिमिनल रिवीजन की अर्जी को आंशिक रूप से मंजूर करते हुए अपने फैसले में कहा है कि आरोपियों के खिलाफ रेप की कोशिश और पॉक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत जारी किया गया समन गलत है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत से कहा है कि वह समन आदेश में बदलाव करते हुए उन्हें छेड़खानी और पॉक्सो एक्ट की दूसरी धारा के तहत समन आदेश जारी करें।

पूरा मामला क्या है?

मामला उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के पटियाली थाना क्षेत्र में 10 नवंबर 2021 को शाम पांच बजे हुई एक घटना से जुड़ा हुआ है। इसमें एक महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि वह अपनी 14 साल की बेटी के साथ कहीं जा रही थी। रास्ते में पवन, आकाश और अशोक नाम के तीन युवकों ने बेटी को घर छोड़ने के बहाने अपनी बाइक पर बैठा लिया। एफआईआर में कहा गया कि आरोपियों ने रास्ते में एक पुलिया के पास गाड़ी रोककर उसकी बेटी के स्तन पकड़े और पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया। इसके बाद गलत इरादे से उसे पुलिया के नीचे खींच कर ले जाने लगे।

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इस बीच चीख पुकार सुनकर वहां लोगों की भीड़ छूट गई, जिसकी वजह से आरोपी उसकी बेटी को छोड़कर भाग निकले। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ आईपीसी में रेप की धारा 376 और पोक्सो एक्ट की धारा 18 यानी अपराध करने के प्रयास का केस दर्ज किया गया। निचली अदालत ने इन्हीं धाराओं में आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया।

जज ने क्या कहा?

निचली अदालत के फैसले के खिलाफ आरोपियों ने पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन की अर्जी दाखिल की। हाईकोर्ट में इस मामले आरोपियों की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि महिला के स्तन को पकड़ना, उसके पजामे के नाडे को तोड़ना और खींचने की घटना को कतई रेप की कोशिश का अपराध नहीं माना जा सकता। इन हरकतों से यह नहीं माना जा सकता कि इन्हें रेप की घटना को अंजाम देने के लिए ही कारित किया गया है।

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