नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट के समन पर सोनिया गांधी ने भले ही कहा हो कि वह इंदिरा गांधी की बहू हैं और किसी ने डरती नहीं हैं, लेकिन असल में इस मसले को लेकर मंगलवार (8 दिसंबर) तड़के तीन बजे तक कांग्रेस में मंथन चलता रहा था। सूतों के मुताबिक इसमें चर्चा केवल दो सवालों पर ही हुई। पहला- क्या दिल्ली हाईकोर्ट में पेशी से छूट दिए जाने की अर्जी खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाए? दूसरा- क्या इस अपील से कोई फायदा होगा? मंगलवार सुबह तक इन सवालों का जवाब ढूंढ़ लिया गया था। तय हुआ कि इस मामले का सामना राजनीतिक तरीके से किया जाए।
मंगलवार को निचली अदालत में सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वे (सोनिया-राहुल व अन्य) जज साहब के सामने हाजिर होने के लिए इच्छुक हैं। इसके बाद जज ने 19 दिसंबर को पेश होने का आदेश दिया। एक सूत्र के मुताबिक, ‘सोनिया का साफ मानना था कि यह राजनीतिक लड़ाई है और इसे राजनीतिक तरीके से ही लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह और राहुल कोर्ट में पेश होंगे।’
मंगलवार को कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में भी यह मुद्दा उठाया और कार्यवाही बाधित की। सूत्र बताते हैं कि इस बारे में कांग्रेस के बड़े नेताओं की सोमवार को पूरी रात बैठक हुई थी। इसके बाद इस मामले से निपटने की रूपरेखा तय की गई। बैठक में ‘कोर लीडर्स’ के अलावा वकील भी शामिल थे। इनमें गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, भूपिंदर सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, पूर्व एडीशनल सॉलीसिटर जनरल हरेन रावल, वरिष्ठ वकील आरएस चीमा, रमेश गुप्ता, अमित भंडारी और शेखर सरीन शामिल थे।
सोमवार को जैसे ही दिल्ली हाईकोर्ट ने सोनिया, राहुल और पांच अन्य आरोपियों को निचली अदालत में पेशी से छूट देने से इनकार करने का फैसला सुनाया, वैसे ही 10, जनपथ (सोनिया के घर), 12, तुगलक लेन (राहुल गांधी के घर) और जोर बाग में कपिल सिब्बल के घर पर माहौल तनावपूर्ण हो गया। दोपहर दो बजे जस्टिस सुनील गौड़ का एक लाइन का फैसला – अर्जी खारिज की जाती है – सामने आया था।
सूत्र बताते हैं कि पांच बजे तक कांग्रेस खेमे में सस्पेंस की स्थिति बनी रही थी। सूत्र का कहना है- जब तक कोर्ट का फैसला पढ़ और समझ नहीं लिया गया तब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका था। पांच बजे शाम को जब कोर्ट की वेबसाइट पर जजमेंट की कॉपी अपलोड हुई, तब तक सस्पेंस कायम था। इसके बाद सिब्बल ने कांग्रेस अध्यक्ष को फैसले के बारे में बताया और उपलब्ध विकल्पों की जानकारी दी।
रावल, सिब्बल, सिंघवी ने आपस में चर्चा कर अंतिम निर्णय सोनिया पर छोड़ दिया। सूत्र बताते हैं कि वकील इस बात को लेकर काफी चिंतित थे कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अपील फाइल करने के लिए वक्त नहीं है। उन्हें हाईकोर्ट के फैसले की कॉपी काफी देर से मिली थी। लेकिन, एक वकील ने फैसले की कॉपी से एक लाइन निकाली। इसमें लिखा था- जज केस के तकनीकी पहलुओं पर ज्यादा गौर करेंगे, इसके मेरिट में नहीं जाएंगे। इसके अलावा, सुब्रमण्यम स्वामी ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी थी, ताकि वहां से सोनिया-राहुल को कोई राहत मिलने की संभावना कम की जा सके। ऐसे में वकीलों के सामने यह बड़ा सवाल था कि सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल करने का कोई फायदा होगा भी या नहीं?