सुप्रीम कोर्ट के एक और जस्टिस ने जांच एजेंसी सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस एनवी रमन्ना ने खुद को सुनवाई से दूर रखने का कारण भी बताया है। जस्टिस रमन्ना ने बताया कि नागेश्वर राव उनके गृह राज्य से ही हैं और वो उनकी की बेटी की शादी में गए थे। इससे पहले सीजेआई रंजन गोगोई और जस्टिस ए के सीकरी भी इस याचिका की सुनवाई से अलग हो चुके हैं। नागेश्वर राव के खिलाफ यह याचिका एनजीओ कॉमन कॉज ने दायर की थी।

कॉमन कॉज की तरफ से उच्चतम न्यायाल के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से से अपील करें कि इस मामले की सुनवाई के लिए जल्द एक बेंच का गठन करें। इस पर जस्टिस रमन्ना ने कहा, मैं कैसे सीजेआई से कह सकता हूं। यह तो रजिस्ट्री पर है कि याचिक कब सूचिबद्ध होती है। याचिका की सुनवाई के लिए जस्टिस रमना के अलावा जस्टिस एमएम शांतनागौदर और जस्टिस इंदिरा बनर्जी बेंच में शामिल थीं।

इससे पहले प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। सीजेआई ने कहा था कि वह याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते क्योंकि वह अगले सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली समिति बैठक का हिस्सा होंगे।

बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, न्यायमूर्ति ए के सीकरी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की सदस्यता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने वर्मा का सीबीआई से तबादला कर दिया था। वर्मा के ट्रांसफर के बाद सरकार ने अतिरिक्त निदेशक नागेश्वर राव को एजेंसी का सबसे बड़ा पद सौंप दिया। 10 जनवरी को सीबीआई डायरेक्टर के रूप में आलोक वर्मा को हटाने के कुछ घंटे बाद ही राव को जांच एजेंसी का अंतरिम डायरेक्टर नियुक्त किया गया था। जिस पर दिल्ली के एक गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज ने एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम प्रमुख बनाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।