केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के 12 जिलों और दो पूर्वोत्तर राज्यों के पांच जिलों के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) को और छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि सशस्त्र बलों का उग्रवाद विरोधी अभियान जारी रह सके।
गृह मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के 4 जिलों में अफस्पा कानून (AFSPA) को अगले 6 महीने के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश में तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिले के अलावा नामसाई जिले में नामसाई और महादेवपुर पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 को आज से 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है। इन क्षेत्रों को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है।”
वहीं नागालैंड के नौ जिलों और चार जिलों के 16 पुलिस स्टेशनों को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया गया है। यहां भी आज से छह महीने की अवधि के लिए AFSPA बढ़ा दिया गया है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार AFSPA को नगालैंड के जिन नौ जिलों में बढ़ाया गया है, उनमें दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक, पेरेन और जुन्हेबोटो शामिल है। इसके साथ नागालैंड के चार अन्य जिले कोहिमा, मोकोकचुंग, लोंगलेंग और वोखा के अंतर्गत आने वाले 16 पुलिस स्टेशनों में AFSPA बढ़ाया गया है।
दिसंबर 2021 में नागालैंड के मोन जिले में सेना द्वारा 14 नागरिकों की गलत पहचान के कारण हुई हत्या के बाद AFSPA को हटाने की संभावना की जांच के लिए गठित एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश के बाद अप्रैल में AFSPA के अधिकार क्षेत्र में कमी की गई थी। 2015 में त्रिपुरा, 2018 में मेघालय और 1980 के दशक में मिजोरम में AFSPA को पूरी तरह से वापस ले लिया गया था।
31 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि AFSPA को निरस्त करने के लिए कई राजनीतिक दलों और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की मांग के बावजूद असम, नागालैंड और मणिपुर में 1 अप्रैल से AFSPA का संचालन कम कर दिया जाएगा।
मणिपुर और असम में भी “अशांत क्षेत्र” को आंशिक रूप से वापस ले लिया गया था। पूर्वोत्तर के कई राज्यों में AFSPA को वापस लेने के लिए विरोध प्रदर्शन हुए। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में भी इसको वापस लेने की मांग की गई है।