आर्टिकल 370 की सुनवाई के दौरान बोले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि आजादी के बाद से जम्मू कश्मीर का कोई स्पेशल स्टेटस नहीं था। उनका कहना था कि जो भी रियासतें भारत में शामिल हुईं सभी के लिए एक से नियम थे। सभी के लिए एक तरह का दस्तावेज बनाया गया था। जिसे सभी ने माना और दस्तखत करके खुद को भारत के झंडे तले शामिल किया। जम्मू कश्मीर भी उनमें से एक था।

सॉलिसिटर ने कहा कि उस दौरान के नामचीन वकीलों ने भारत में शामिल होने वाली रियासतों के लिए एक मसौदा तैयार किया था। लेकिन भारत सरकार ने रियासतों के साथ जो करारनामा किया था वो सभी के लिए एक था। पंडित नेहरू ने साफ कह दिया था कि वो किसी भी राजा के विशेषाधिकार को नहीं मानने जा रहे। ये सभी रियासतें भारत की हिस्सा बनीं और सभी ने संविधान के निर्माण में अपना योगदान दिया।

28 अगस्त को होगी मामले की अगली सुनवाई

तुषार मेहता सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के सामने दलीले रख रहे थे। संवैधानिक बेंच में कुल पांच जज शामिल हैं। सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं। ये बेंच उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही जो आर्टिकल 370 को जम्मू कश्मीर से हटाने के खिलाफ हैं। केंद्र ने इसे 2019 में खत्म कर दिया था। मेहत ने संवैधानिक बेंच से कहा कि अब जम्मू कश्मीर के नागरिक भी भारत के दूसरे सूबों के नागरिकों की तरह से हैं। मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।

इससे पहले हुई सुनवाई में तुषार मेहता ने कहा था कि सरकार का नार्थ ईस्ट के विशेष प्रावधानों को छेड़ने का कोई इरादा नहीं है। वो कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की दलीलों को काउंटर कर रहे थे। मेहता ने कहा कि यह किसी तरह की शरारत हो सकती है। ऐसी कोई आशंका नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का पूर्वोत्तर और अन्य क्षेत्रों से संबंधित संविधान के किसी भी विशेष प्रावधान को छूने का भी इरादा नहीं है।