जज के खिलाफ टिप्पणी करने के एक मामले में वकील की सिट्टीपिट्टी उस समय गुम हो गई जब उसके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू की गई। कर्नाटक हाईकोर्ट में वकील की पेशी लगी तो बचने के लिए उसने जो दलीलें पेश कीं उसे सुनकर कोर्ट रूम में बैठे लोग भी हैरत में रह गए। आरोपी वकील ने खुद ही अपनी काबिलियत पर सवाल खड़े कर दिए।
जेल जाने के बाद अक्ल आई ठिकाने
आरोपी वकील का कहना था कि वो बीमार है। उसकी मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है। इतना ही नहीं वकील का कहना था कि उसे वकालत के साथ अंग्रेजी भाषा का भी पूरा ज्ञान नहीं है। सीनियर वकीलों ने उसकी कोई मदद नहीं की, जिससे उससे बड़ी गलती हो गई। हाईकोर्ट के जस्टिस पीबी वराले और जस्टिस अशोक एस किनागी ने उसकी दलीलों पर गौर करने के बाद माफी दे दी। उसके खिलाफ दायर तीनों मामले बंद कर दिए गए।
हाईकोर्ट ऑफ कर्नाटक बनाम के एस अनिल मामले में ये चीज सामने आई। दो फरवरी 2023 को हाईकोर्ट ने एडवोकेट अनिल को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया था। उस पर अदालत की अवमाननना का आरोप था। अनिल ने सिटिंग जज पर आरोप जड़े थे। अनिल ने मेमो में अपनी 2019 और 2020 की अवमानना से जुडे़ मामलों के ट्रांसफर की मांग करते हुए ये आरोप जड़े थे।
दलील में कहा- करप्शन के खिलाफ लड़ रहा था, फंसाया गया
अनिल ने अपने बचाव में कहा था कि उसे जो नोटिस दिए गए वो नियमों के अनुरूप नहीं थे। वो करप्शन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। लिहाजा कुछ लोगों ने उसे निशाना बना दिया। उसका ये भी कहना था कि पहले का आदेश दुरुस्त नहीं था। अदालत ने 2 फरवरी को दिए अपने आदेश में अनिल को लेकर कहा था कि वो न्यायपालिका पर कीचड़ उछालने का काम कर रहा है। उसकी हरकतों की वजह से जनता की नजरों में कोर्ट रूम की छवि खराब हो रही है।
अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश देते हुए कहा कि मामले की सुनवाई 10 फरवरी को की जाएगी। लेकिन सुनवाई के दौरान अनिल की हिम्मत पस्त हो गई। उसने कोर्ट से माफी मांगते हुए हलफनामा दायर किया तो हाईकोर्ट ने उसके खिलाफ चल रहा अवमानना के तीनों केस बंद कर दिए।