आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब इकाई में विद्रोह का खतरा बढ़ता जा रहा है। पार्टी की पंजाब इकाई के अध्यक्ष और संगरूर के सांसद भगवंत मान लगातार पार्टी पर दवाब बना रहे हैं कि 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाए। हालांकि पार्टी अबतक इस मुद्दे पर चुप ही रही है। मान ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि पार्टी के नेता और कैडर चाहते हैं कि उन्हें जल्द से जल्द सीएम उम्मीदवार के रूप में नामित किया जाए।

मान पिछले एक हफ्ते से रोजाना अपने घर पर समर्थकों की भीड़ से मिल रहे हैं और उनकी तरफ से संकेत दिए जा रहे हैं कि वह पार्टी के सदस्यों के बीच काफी लोकप्रिय हैं, उन्हें आप के सीएम उम्मीदवार के रूप में नामित किया जाना चाहिए। आप के कुछ विधायक भी मान की उम्मीदवारी के खुले समर्थन में आ गए, जिससे पार्टी के भीतर दरार के संकेत भी मिलने लगे हैं। मान की तरफ से नाराज होने के संकेत राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उपस्थिति में भी दर्ज करवाए गए थे। गुरदासपुर जिले में वरिष्ठ अकाली नेता सेवा सिंह सेखवां के शामिल होने के दौरान भी 26 अगस्त को उन्होंने अपने आप को दूर रखा था।

शनिवार को संगरूर में मीडियाकर्मियों से बातचीत में मान ने स्पष्ट किया कि बड़ी संख्या में आप कार्यकर्ता उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी को सीएम उम्मीदवार के नाम पर फैसला करते समय जमीनी हकीकत को देखना चाहिए और जमीनी कार्यकर्ताओं की बात सुननी चाहिए।

हालांकि पार्टी की तरफ से इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। मान द्वारा सोशल मीडिया पर भी लगातार अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें उनके घर के बाहर भीड़ और हर दिन उनसे मिलने आने वाले कार्यकर्ताओं को दिखाया जा रहा है। हालांकि इस मुद्दे पर मान की तरफ से कोई बयान नहीं आया है लेकिन, उनके एक करीबी सहयोगी ने कहा कि ये भीड़ सभी पार्टी के कार्यकर्ता थे जो उनसे मिलने आए थे। भगवंत मान के सहयोगी ने कहा कि लोग पूरे पंजाब से यह कहते हुए आते हैं कि वे मान साहब से मिलना चाहते हैं। ऐसे हालत में हम उन्हें कैसे मना कर सकते हैं। हमारे कार्यकर्ता बहुत मुखर हैं और वे अन्य राजनीतिक दलों से अलग हैं।

कार्यकर्ताओं को बुलाने का कोई भी प्रयास मान साहब की तरफ से नहीं की गयी है। कार्यकर्ताओं के अलावा, पार्टी के कुछ विधायकों ने भी उनके नाम का समर्थन किया है। कोटकपूरा के विधायक कुलतार सिंह संधवान और महल कलां के विधायक कुलवंत सिंह पंडोरी खुलकर उनके समर्थन में आ चुके हैं। कई अन्य विधायक भी हैं जिन्होंने पिछले एक सप्ताह में उनके पक्ष में देखे गए हैं। हालांकि इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता और पार्टी के वरिष्ठ नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि “ये सिर्फ उत्साही कार्यकर्ता हैं। ”

मान की तरफ से जारी प्रयासों के बाद भी सूत्रों का कहना है कि दिल्ली नेतृत्व अभी तक इस तरह के किसी भी फैसले को लेने के मूड में नहीं है, पार्टी मान की “सामाजिक स्वीकृति” और “व्यक्तिगत आचरण” को देखते हुए कोई भी फैसला लेने से बचती रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जी इस समय राजस्थान में एक सप्ताह के लिए विपश्यना शिविर में भाग ले रहे हैं। मान ने उनके दूर रहते हुए विद्रोह का झंडा फहराया है। शिविर से लौटकर अरविंद जी पंजाब आएंगे और सब कुछ ठीक हो जाएगा। इस तरह की हरकतों का पार्टी में कोई स्थान नहीं है।” इधर इस बात की भी खबर आने लगी थी कि राज्य के सह-प्रभारी और दिल्ली के विधायक राघव चड्ढा की भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पंजाब को लेकर है जिस कारण से मान को साइड किया जा रहा है। हालांकि चड्ढा ने इस तरह के आक्षेपों का खंडन किया है। साथ ही उन्होंने पंजाब में चुनाव लड़ने से भी मना किया है।