रेप मामले की पीड़ित महिला दिल्ली हाईकोर्ट में ये याचिका लेकर पहुंची कि उसके केस को या तो POCSO की स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए या फिर उसकी सुनवाई कोई महिला जज करे। हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसे तो फिर केस ट्रांसफर करवाने की याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी।

जस्टिस अनीष दयाल का कहना था कि अगर हमने एक बार ये फैसला कर दिया तो फिर हम खुद मुश्किल में आ जाएंगे। ऐसी कितनी याचिकाओं को हम स्वीकार करने की स्थिति में हैं। प्रशासनिक तौर पर ऐसा करना किसी भी नजरिये से मुमकिन नहीं लगता है।

हाईकोर्ट बोला- जज चाहें महिला हो या पुरुष, केवल साक्ष्यों को देखकर फैसला सुनाता है

दिल्ली हाईकोर्ट का कहना था कि जज चाहे महिला हो या पुरुष, उनका काम बगैर किसी भेदभाव के न्याय देना होता है। न तो महिला जज किसी महिला याची के आंसुओं से प्रभावित होती है और न ही पुरुष जज किसी पुरुष याची का दर्द देखकर इमोशनल होता है। कोर्ट अपना फैसला साक्ष्यों और सुनवाई के दौरान पेश की गई दलीलों को सुनकर सुनाती हैं। उनका केवल एक ध्येय होता है कि वास्तविक रूप से पीड़ित शख्स को न्याय देना।

जस्टिस दयाल का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में गाइड लाइन तय की हुई हैं कि रेप जैसे संवेदनशील मामले में किन चीजों का खास ख्याल रखा जाए। महिला याची को केवल कुछ संदेह है, इस आधार पर हम उसकी अपील को मानकर फैसला नहीं दे सकते।

पोर्न साइट पर शेयर कर दी गई थीं महिला की आपत्तिजनक तस्वीरें

मामला एक ऐसी महिला से जुड़ा है जिसकी आपत्तिजनक तस्वीरें किसी पोर्न साइट पर शेयर की गई थीं। पुलिस ने 11 नवंबर 2020 को अरेस्ट करके उसके लैपटॉप को अपने कब्जे में ले लिया था। पुलिस ने अपनी विवेचना पूरी करके चार्जशीट कोर्ट में दायर कर दी है। फिलहाल ट्रायल कोर्ट में चार्ज फ्रेम करने की प्रक्रिया शुरू की जानी है। कोर्ट चार्ज फ्रेम करने से पहले दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने की तारीख तय कर चुकी है। इसी दौरान पीड़ित महिला ने सीआरपीसी के सेक्शन 407 के तहत हाईकोर्ट में केस ट्रांसफर करवाने की याचिका दे दी।