चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर के पिछले 11 साल में सबसे निचले स्तर तक पहुंच जाने के अनुमान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और इसमें फिर से तेज वृद्धि की राह पर लौटने की पूरी क्षमता है। पिछली दो तिमाहियों के दौरान लगातार कमजोर पड़ती आर्थिक वृद्धि के बाद सरकार काफी सक्रिय हो गई लगती है और यही वजह है कि प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे विभिन्न मुद्दों पर अलग अलग पक्षों के साथ पिछले कुछ दिनों में ही 12 बैठकें की हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया है और आगामी बजट में यथोचित नीतिगत दखल देने की तैयारी है।

प्रधानमंत्री ने बृहस्पतिवार को यहां नीति आयोग में अर्थशास्त्रियों, निजी इक्विटी एवं उद्यम पूंजी कोषों, कारोबारियों और कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श किया और भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में मिलकर प्रयास करने को कहा। बैठक के बाद मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘भारत को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने पर दृढ़! आज अर्थशास्त्रियों, कारोबारियों और विभिन्न क्षेत्रों के नीतिगत विशेषज्ञों के साथ विस्तृत विषयों पर चर्चा हुई। ऐसा मेलजोल राष्ट्रीय प्रगति के लिये अच्छा है।’’

इस उच्चस्तरीय बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन विवेक देवरॉय भी बैठक में मौजूद थे। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बैठक में उपस्थित नहीं थी। वह भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बजट-पूर्व बैठकें कर रही थीं। वित्त मंत्री एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगी।

कांग्रेस का कटाक्ष: कांग्रेस ने बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मौजूद नहीं होने को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगली बार बजट से पहले होने वाली बैठक में निर्मला को भी बुलाया जाए। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा, ‘‘यहां एक सुझाव है। अगली बार बजट से पहले होने वाली बैठक में वित्त मंत्री को भी आमंत्रित करने के बारे में विचार किया जाए।’’ उसने नीति आयोग की बैठक की तस्वीर शेयर करते हुए तंज किया, ‘‘एक महिला के जिम्मे जो काम है, उसे पूरा करने के लिए कितने पुरुष मौजूद हैं।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आर्थिक मंदी का हवाला देते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘ आर्थिक स्थिति गंभीर और खतरनाक है। सरकार ध्रुवीकरण की राजनीति में लगी है, उसे कोई चिंता नहीं है।’’ रमेश ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को स्वीकार करना चाहिए कि उनकी आर्थिक नीति विफल रही है। वह मनमोहन सिंह से बात करें। अगर वो हमसें पूछेंगे तो हम उन्हें जरूर बताएंगे कि क्या क्या करना होगा।’