गुजरात की जूनागढ़ रियासत के स्वयंभू नवाब जहांगीर खान और उनके दीवान साहिबजादा अहमद अली ने फिर से एक बार भारत विरोधी तेवर अख्तियार किए हैं। उनका कहना है कि वो दिन दूर नहीं जब जूनागढ़ पाकिस्‍तान में शामिल होगा। इसकी कहानी स्कूलों में पढ़ाई जानी चाहिए। यूनाइटेड इंडिया के स्लोगन का माखौल उड़ाते हुए दोनों ने कहा कि ये सबसे बड़ा धोखा है। भारत देखेगा कि जूनागढ़ कैसे आजाद होता है।

रावलपिंडी की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ मॉडर्न लैंगवेज में छात्रों से गुफ्तगू के दौरान जहांगीर खान ने कहा कि वो इमरान खान का इस बात के लिए शुक्रिया अदा करना चाहते हैं कि उन्होंने जूनागढ़ रियासत को अपने देश के नक्शे में जगह दी। उनका कहना था कि वहां के हिंदू भी पाक में मिलना चाहते हैं। 1947 में जूनागढ़ का पाक में विलय मंजूर कर लिया गया था लेकिन भारत ने बीते 74 सालों से इस पर अवैध कब्जा कर रखा है।

नवाब ने कहा कि जूनागढ़ पाकिस्तान का है। समय आ गया है कि पाकिस्तान भारत के जूनागढ़ पर कब्जे के बारे में आवाज उठाए। यह अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है। उनका कहना है कि जूनागढ़ की रणनीतिक तौर पर भी काफी अहमियत है। ये अरब सागर के काफी नजदीक है। तकरीबन 4 हजार वर्ग किमी में फैली रियासत काफी समृद्ध मानी जाती थी। राजस्व जुटाने के मामले में ब्रिटिश शासन की 561 रियासतों में इसका नंबर पांचवा था। इसके पास अपनी सेना भी थी।

ध्यान रहे कि जवाहर लाल नेहरू की सरकार में गृह मंत्री रहे सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जब आजादी के बाद 561 रियासतों का भारत में विलय कराया तब जूनागढ़ के नवाब मोहम्मद महाबत खान पाकिस्तान में विलय चाहते थे। लेकिन यहां की हिंदू आबादी इसके पक्ष में नहीं थी। लोगों के तेवर देख जूनागढ़ का नवाब परिवार जिन्ना से समझौता कर पाकिस्तान पलायन कर गया था। मोहम्मद जहांगीर खान उनके वंशज हैं। अभी वो पाकिस्तान में रहकर मुफलिसी में अपना गुजरबसर कर रहे हैं। लेकिन जूनागढ़ को आजाद कराने का ख्वाब आज भी उनकी आंखों में है।

जूनागढ़ के लेकर विवाद आजादी के बाद से ही चल रहा है। पाकिस्तान ने अपना जो नक्शा जारी किया उसमें कश्मीर, सियाचिन के साथ गुजरात के कई हिस्सों को भी अपना बताया गया है। जूनागढ़ को भी पाकिस्तान ने अपना बताया है। इसे लेकर वो लगातार अपने दावे करता रहता है।