भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड में सरकार बनाने को लेकर दो विचारधाराओं में बंटती हुई साफ नजर आ रही है। जहां भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का खेमा सूबे में छह-सात महीने के लिए सरकार बनाए जाने के पक्ष में है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का खेमा राज्य की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा की सरकार बनाने को सबसे आत्मघाती कदम मान रहा है। कोश्यारी खेमे का मानना है कि छह-सात महीने बेहतर सरकार देकर जनता को यह संदेश दिया जाएगा कि भाजपा और हरीश रावत सरकार में क्या अंतर है।

सूबे की जनता हरीश रावत सरकार से तंग आ चुकी थी। रावत सरकार के जमाने में शराब, खनन और अन्य मामलों में सूबे में लूट मची हुई थी। कोश्यारी तो साफ-साफ कहते हैं कि हमने सूबे की जनता को राक्षस राज से मुक्त कराया है। सूूबे की जनता अब राहत महसूस कर रही है। कोश्यारी खेमा मानता है कि राज्य में भाजपा ने सरकार बनने से प्रदेश की जनता में अच्छा संदेश जाएगा। फिर भाजपा सत्ता की बागडोर अपने हाथ में लेकर चुनाव मैदान में उतरेगी। जिससे भाजपा को सत्ता की धमक का चुनाव में बहुत बड़ा फायदा होगा।

सूत्रों के मुताबिक भाजपा हाईकमान ने भगत सिंह कोश्यारी को सूबे में सरकार बनाने की पूरी छूट दे दी है। इसलिए रावत सरकार के बर्खास्त होने से पहले कोश्यारी सूबे की राजनीति में एकाएक सक्रिय हुए। उससे लगने लगा था कि पार्टी हाईकमान कोश्यारी को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर सूबे की जनता के सामने पेश कर रहा है।

दरअसल, कोश्यारी उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के ठाकुर हैं। और हरीश रावत भी उन्हीं की बिरादरी के हैं। रावत के प्रभाव वाले कुमाऊंनी मतदाताओं को रावत से तोड़ने के लिए भाजपा ने उनके मुकाबले में भगत सिंह कोश्यारी को उतारा है। कोश्यारी की छवि साफ-सुथरी है। वे मिलनसार हैं और गढ़वाल-कुमाऊं में समान रूप से उनकी लोकप्रियता है। रावत पर कोश्यारी जमकर आरोप लगा रहे हैं। कोश्यारी के आरोपों का रावत सीधे-सीधे जवाब देने से बच रहे हैं।

क्योंकि रावत जानते हैं कि कोश्यारी व उनका जनाधार उत्तराखंड में एक है। यदि कोश्यारी पर रावत कोई टिप्पणी करते हैं तो उसका नुकसान रावत को ज्यादा होगा। क्योंकि कोश्यारी की छवि उत्तराखंड के नेताओं में सबसे ज्यादा ईमानदार व खाटी नेता की मानी जाती है। इसीलिए वे कोश्यारी के आक्रमण को चुपचाप झेल रहे हैं। रावत के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस के बागी नेता विजय बहुगुणा तथा हरक सिंह रावत तो रहते हैं, पर कोश्यारी नहीं।

जबसे भाजपा हाईकमान से भगत सिंह कोश्यारी के मुख्यमंत्री बनने की खबरें आई हैं। तबसे भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक और सतपाल महाराज खेमे में बैचेनी शुरू हो गई है। निशंक खेमा कोश्यारी को मुख्यमंत्री बनाने के एकदम खिलाफ है। इसीलिए आजकल निशंक अपने मुख्यमंत्रित्व काल के आंकड़ों को अपनी हर प्रेस वार्ता में बड़ी प्रमुखता से उठाते हैं। वे यह जताना चाहते हैं कि जितना विकास उनके कार्यकाल में हुआ। उतना विकास उत्तराखंड के किसी भी मुख्यमंत्री के कार्यकाल में नहीं हुआ।

दरअसल, कोश्यारी के मुख्यमंत्री बनने से निशंक बिल्कुल हाशिये पर चले जाएंगे। इस वक्त भाजपा के पास कोश्यारी से बड़ा नेता उत्तराखंड में कोई नहीं है। निशंक खेमा राज्य में रावत सरकार को हटाने के बाद भाजपा की सरकार बनाने का यह कहकर विरोध कर रहा है कि इससे भाजपा की बजाय हरीश रावत को ज्यादा राजनीतिक फायदा होगा।

निशंक खेमे ने अमित शाह और संघ मुख्यालय तक अपनी यह बात पहुंचा दी है कि यदि भाजपा सूबे में इस वक्त सरकार बनाती है तो हरीश रावत के प्रति उत्तराखंड की जनता में सहानुभूति की लहर दौडेÞगी। इसी उहापोह के बीच भाजपा का राष्टÑीय नेतृत्व अभी राज्य के सभी राजनीतिक परिस्थितियों का आकलन कर रहा है। और नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले के आने के बाद ही भाजपा हाईकमान कोई निर्णायक फैसला करेगा।