उपराष्ट्रपति पद के लिए 18 विपक्षी दलों के उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी ने मंगलवार को कहा कि वे मौत की सजा देने के खिलाफ हैं। इसी कारण उन्होंने न सिर्फ भारत में आतंकवादी याकूब मेमन को क्षमादान देने की वकालत की, बल्कि पाकिस्तान में सैन्य अदालत द्वारा मृत्युदंड पाए भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को माफ करने के लिए वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पत्र लिखा। उन्होंने यह भी कहा कि वे मृत्युदंड के खिलाफ महात्मा गांधी और बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों से प्रभावित हैं। इसलिए उन्होंने मेमन और अब जाधव को माफ करने के लिए पक्ष रखा।

उन्होंने कहा कि वे किसी राजनीतिक दल के नहीं, बल्कि भारत के नागरिकों के प्रतिनिधि हैं। वे भारतीय राजनीति से आम आदमी के उठते भरोसे को दूर करने का प्रयास करेंगे। गांधी ने उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन भरने के बाद संसद भवन परिसर में स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को जाकर नमन किया। इसके बाद उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मैं एक सामान्य नागरिक हूं और इस चुनाव में नागरिकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक स्वतंत्र नागरिक की तरह खड़ा हुआ हूं। उन्होंने 18 विपक्षी दलों द्वारा समर्थन किए जाने के लिए सभी का आभार जताया।शिवसेना ने उनकी (गांधी की) उम्मीदवारी का इस आधार पर विरोध किया था कि उन्होंने आतंकवादी याकूब मेमन को क्षमादान देने के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। इस बारे में उनकी टिप्पणी पूछे जाने पर गांधी ने कहा कि मृत्युदंड के मामले में वह महात्मा गांधी व बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों से प्रभावित हैं, जिन्होंने सदैव फांसी की सजा का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि याकूब के लिए उन्होंने एक स्वतंत्र नागरिक के तौर पर पत्र लिखा था, क्योंकि वह मृत्युदंड को गलत मानते हैं। इसी कारण उन्होंने जाधव के लिए भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पत्र लिखा।

गांधी ने कहा कि वह जनता और राजनीति के बीच बढ़ती खाई को लेकर काफी चिंतित हैं। वह चाहते हैं कि इस खाई को दूर किया जाए। उन्होंने कहा कि उनकी तीन प्राथमिकताएं हैं। पहली – लोगों को यह भरोसा दिलाना कि राजनीति उनके लिए ही है और राजनीति से उनके भरोसे को कायम रखना होगा। दूसरा – विभाजनकारी ताकतों से मुकाबला, ताकि भविष्य बेहतर बन सके। तीसरा – देश की करीब करीब आधी जनसंख्या युवा होने के बावजूद बेरोजगार और मायूस है। इस वर्ग की समस्याओं की ओर ध्यान दिया जाना।