मुंबई अंधेरी ईस्ट चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने ठाकरे गुट को शिवसेना (उद्धव-बालासाहेब ठाकरे) का नाम अलाट किया है। पार्टी का नया चुनाव चिन्ह जलती मशाल होगी। शिंदे गुट को बालासाहेबंची शिवसेना का नाम दिया गया है। उन्हें अभी कोई चुनाव चिन्ह अलाट नहीं किया गया है, क्योंकि शिंदे गुट ने जिन तीन चिन्हों को मांगा था वो आयोग की फ्री सिंबल लिस्ट में नहीं हैं। शिंदे गुट ने गदा, उगता सूरज और त्रिशूल के नाम सुझाए थे। शिंदे गुट को 11 अक्टूबर तक फिर से नए सिंबल प्रस्तावित करने होंगे।

चुनाव आयोग का कहना है कि उप चुनाव के दौरान दोनों गुट अलाट नामों पर चुनाव लड़ेंगे। शिवसेना का असली मालिक कौन है, इस विवाद का निपटारा होने तक इसी सिंबल से दोनों गुट राजनीति करेंगे। खास बात है कि दोनों ही गुट फिलहाल शिवसेना पर दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं। आयोग के फैसले को उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि शिंदे ने पार्टी छोड़ी थी। शिवसेना पर वो कैसे दावा कर सकते हैं।

ध्यान रहे कि आयोग ने आगामी उपचुनाव में शिवेसना के नाम और चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर रोक ला दी थी। आयोग ने कहा था कि उद्धव व शिंदे गुट शिवसेना के नाम व निशान का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। नए चुनाव चिह्न व नाम को लेकर दोनों गुटों को आज तक का समय दिया गया था। अभी तक शिवसेना का चुनाव निशान ‘धनुष व तीर’ था। बाला साहेब ने जब शिवसेना की स्थापना की, तब से ये ही चुनाव चिन्ह पार्टी इस्तेमाल कर रही थी।

विवाद तब पैदा हुआ जब शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत की। पहले वो अपने साथी विधायकों को लेकर गुजरात गए और फिर वहां से असम जा पहुंचे। उद्धव ने आखिरी समय तक उनको मनाने की कोशिश की। लेकिन बात नहीं बनी। गेंद राज्यपाल के पाले में पहुंची तो भगत सिंह कोश्यारी ने विश्वास मत साबित करने के लिए तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे को कहा। उन्होंने विश्वास मत से पहले ही इस्तीफा दे दिया।

फिलहाल दोनों गुटों के बीच में सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई चल रही है। शीर्ष अदालत से उद्धव गुट को तब झटका लगा जब कोर्ट ने कहा कि पार्टी पर आयोग फैसला करे। उधर उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे ने नया सिंबल और नाम मिलने पर खुशी जताई है। वो बोले कि ये आगे बढ़ने की राह है।