एक शीर्ष सैन्य कमांडर ने आज कहा कि पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के हिस्सों में करीब 1150 आतंकवादी लगभग 17 प्रशिक्षण शिविरों में हैं तथा करीब 325 आतंकवादी नियंत्रण रेखा के समीप घुसपैठ की फिराक में हैं।

श्रीनगर स्थित 15 वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारी खुफिया सूचना के अनुसार पाकिस्तान और पीओके में करीब 17 आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर हैं। उनमें से नौ 15 वीं कोर क्षेत्र की दूसरी तरफ है। मानसेहरा और मुजफ्फराबाद में चार चार शिविर हैं। मानसेहरा पाकिस्तान में है। ’’

दुआ ने कहा, ‘‘इन शिविरों में कुल आतंकवादी 1000-1150 के बीच है।’’ उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ नियंत्रण रेखा के समीप 23 ऐसे स्थान हैं जहां 315-325 आतंकवादी घुसपैठ की फिराक में हैं। इन स्थानों पर आतंकवादियों की संख्या बढ़ गयी है क्योंकि वे (नियंत्रण रेखा) पार करने में असमर्थ हैं।

सैन्य कमांडर ने कहा, ‘‘जब भी उन्होंने घुसपैठ का प्रयत्न किया, उसे हमेशा ही विफल कर दिया गया है या आतंकवादियों को सफाया कर दिया गया है। ऐसे में दरअसल हो क्या रहा है कि उनकी संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन वे पार करने में असमर्थ हैं।’’

दुआ ने कहा कि आतंकवादी बदहवास हो गए हैं क्योंकि उनके आका चाहते हैं कि वे कुछ करें। उन्होंने कहा, ‘‘(वे) इतने बदहवास हैं कि उन पर उनके आकाओं की ओर से कुछ करने का दबाव है और कई बार वे कोशिश करते हैं और घुसपैठ करते हैं तथा उनका प्रयास बस नियंत्रण रेखा के समीप नागरिकों या सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना और फिर लौट जाना होता है।’’

इस साल आतंकवादियों की घुसपैठ कोशिश की प्रवृति के बारे में कोर कमांडर ने कहा कि हमेशा ही ग्रीष्मकाल के समापन और बर्फ के चलते दर्रे के बंद होने से पहले ऐसी गतिविधियां बढ़ाने की कोशिश होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह कुछ नया नहीं है। हर साल गर्मियों में जब दर्रे खुले होते हैं, तब घुसपैठ का प्रयास होता है। लेकिन सेना द्वारा रखी गयी सुसमन्वित बहुस्तरीय घुसपैठ निरोधक उपाय से सारे घुसपैठ प्रयास विफल कर दिए गए हैं। दो आतंकवादी तो पकड़े गए हैं।’’

युवाओं को आतंकवादी के रूप में भर्ती के बारे में दुआ ने कहा, ‘‘कुछ भर्तियां हुई हैं और हमें वह मालूम है। न केवल भर्तियां हुई हैं बल्कि उनमें सात पकड़े गए, मारे गए या वापस लौट गए। कुछ लड़के को आतंकवाद छोड़कर लौट भी गए।’’

आतंकवादियों खासकर हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वनी द्वारा सोशल मीडिया के इस्तेमाल के बारे में उन्होंने कहा कि वे सुर्खियों में रहने के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वे प्रशिक्षण के लिए उस पर पार गए लेकिन वे अच्छी तरह प्रशिक्षित नहीं हैं, वे बस मीडिया का ध्यान खींच रहे हैं।’’

सैन्य कमांडर ने कहा कि सुसमन्वित घुसपैठ निरोधक उपाय के चलते आतंकवादी बदहवासी में घाटी में घुसपैठ के दूसरे रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पिछले पखवाड़े के दौरान उत्तरी कश्मीर में चार आतंकवादियों, एक पूर्व आतंकवादी एवं उसके बेटी की रहस्यमय मौत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि कुछ आतंकवादी संगठन विद्रोह या बगावत बर्दाश्त नहीं करते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनके नेताओं ने तीन साल के बच्चों को भी ख्याल नहीं रखा जिनकी हत्या कर दी गयी जैसा कि हमने (पट्टन में) देखा। हमने कहीं भी, चाहे आतंकवाद हो या नहीं, तीन साल के बच्चे की हत्या जैसी चीज नहीं देखी। यह उनका आतंरिक मामला है।’’

हिज्बुल मुजाहिदीन के इस दावे पर कि पिछले हफ्ते तंगमार्ग इलाके में सेना ने उसके कमांडर फयाज अहमद भट को मार डाला, उन्होंने कहा कि सेना ने उसकी हत्या नहीं की। उन्होंने कहा, ‘‘यदि सुरक्षाबलों ने उसे मारा होता तो हमने मुठभेड़ में एक आतंकवादी को मार गिराने का श्रेय लेने का दावा किया होता। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया और लोग यह जानते हैं। उन्हें बयानों को देखने की जरूरत नहीं है। कश्मीर में लोग सब जानते हैं।’’

मानवाधिकार के संबंध में दुआ ने कहा, ‘‘भारतीय सेना का रुख बिल्कुल स्पष्ट है। वह मानवाधिकार उल्लंघन को कतई बर्दाश्त नहीं करती। यह समझौता से परे है।’’

कुछ उन घटनाओं का जिक्र करते हुए जहां सेना ने भूलवश नागरिकों पर गोलियां चलायीं, सैन्य कमांडर ने कहा कि कुछ घटनाएं हुईं और उसे कबूल किया गया एवं कमांडरों ने अफसोस जतायी। उचित मजिस्ट्रेट प्रक्रिया चल रही है।