बिहार के सीतामढ़ी में रीगा चीनी मिल बंद होने पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हमने नीतीश सरकार में बंद करायी गयी चीनी मिलों और उद्योगों को शुरू करने का वायदा किया था। लेकिन सरकार ने एक और चालू शुगर मिल को बंद करवा दिया। रीगा मिल के बंद हो जाने से इलाके के हज़ारों गन्ना किसानों के ऊपर बर्बादी का संकट मंडराने लगा है।
रीगा चीनी मिल के बंद होने पर तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ना तो यह जालिम सरकार युवाओं को नौकरी दे सकती और ना ही उद्योग धंधे स्थापित कर रोज़गार के अवसर उत्पन्न कर सकती है। चीनी मिल में ताला लटकने की वजह से आसपास के किसानों को करीब 100 करोड़ का नुकसान हो सकता है। पहले ही किसानों का 80 करोड़ रुपया शुगर मिल पर बकाया है। इसकी वजह से किसानों को दोहरी मार का सामना करना पड़ सकता है .
आपको बता दूँ कि सीतामढ़ी और शिवहर के इलाके में गन्ना एक नकदी फसल है। यहाँ के किसान सालों से गन्ना उगा कर रीगा चीनी मिल को बेचते रहे हैं। पहले तो किसानों को रीगा शुगर मिल पर गन्ने के उचित दाम भी मिल जाते थे जिससे उनकी कमाई अच्छी हो जाती थी। हालाँकि इस इलाके में कुछ किसान गन्ने की पेराई कर गुड़ भी बनाया करते थे लेकिन अब इतनी ज्यादा मात्रा में गुड़ बना पाना भी संभव नहीं है।
कभी बिहार में 33 चीनी मिलें हुआ करती थी लेकिन आज बिहार में सिर्फ 11 मिलें ही बची है। एक समय बिहार देश का 40 फीसदी गन्ना अकेले ही पैदा किया करता था लेकिन अब यह आंकड़ा सिर्फ 3.20 फीसदी पर आकर सिमट गया है। चीनी मिलों के बंद होने से गन्ना किसानों के अलावा वहां काम करने वाले कामगार भी प्रभावित हुए। रोजगार के चले जाने से उनकी जिंदगी भी काफी कठिन हो गयी है।
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री ने चुनावी रैली में मोतिहारी में बंद पड़ी चीनी मिलों का मुद्दा उठाया था। हालाँकि इससे पहले 2014 के चुनाव में भी नरेन्द्र मोदी ने मोतिहारी के चीनी मिलों को शुरू करवाने का वायदा किया था और कहा था कि वे अगली बार जब यहाँ आयेंगे तो इसी चीनी मिल के चीनी की चाय पियेंगे। लेकिन अभी तक चीनी मिल वैसे ही बंद पड़ा हुआ है।

