प्रधानमंत्री की मानें तो अब भारत में राम राज्य की शुरुआत हो चुकी है। अयोध्या के नए, विशाल मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद उन्होंने भगवान राम के आदर्शों पर चलने की बातें कीं अपने पहले भाषण में। इन आदर्शों को विस्तार से समझाया। सत्य, न्याय, सुशासन। अच्छा लगा मुझे उनका भाषण सुनकर। जबसे मैंने राजनीति पर लिखना शुरू किया था दशकों पहले एक सपना रहा, एक आशा कि कभी न कभी वह दिन देखने को मिलेगा, जब वास्तव में हम राम राज्य देख पाएंगे अपने भारत देश में। अच्छा लगा कि अब ‘मोदी की गारंटी’ है कि ऐसा समय आने वाला है – जब हम वास्तव में ऐसा दौर देखेंगे, जिसमें इस देश के बेहाल, गरीब, असहाय नागरिक भी बेहतर जीवन के सपने देख पाएंगे।
सो बहुत मायूस हुई, जब प्रधानमंत्री के शानदार भाषण के कुछ ही घंटों बाद मालूम हुआ कि मुंबई की एक गरीब, मुस्लिम बस्ती में लोगों के घर बुलडोजर से ढहाए गए हैं, इसलिए कि इस बस्ती के कुछ सिरफिरे मुस्लिम लोगों ने एक हिंदू धार्मिक जलूस पर पथराव किया था जय श्रीराम के नारे सुनने के बाद। पथराव करना गलत था, लेकिन मेरी नजर में बुलडोजर से घरों को तोड़ना कहीं ज्यादा गलत।
इस किस्म का बुलडोजर न्याय पहली बार मुंबई में देखने को मिला है। बुलडोजर न्याय की शुरुआत की थी योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के फौरन बाद। उस समय बुलडोजर भेजे गए थे उन लोगों के घर तोड़ने जिन्होंने नागरिकता कानून में संशोधन का विरोध किया था।
योगी का यह बुलडोजर न्याय गैर-मुस्लिम मतदाताओं को बहुत पसंद आया ही होगा, सो योगी को दोबारा मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया। इसको देख कर जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री थे उन सबने इस ‘न्याय’ को अपने राज्यों में लाने का काम किया। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने गर्व से स्वीकार किया कि जो लोग पथराव करेंगे धार्मिक जलूसों पर, उनके घर पत्थरों के ढेर में तब्दील कर दिए जाएंगे। उनकी ईमानदारी की प्रशंसा इसलिए करनी चाहिए, क्योंकि अक्सर बुलडोजरों के चलाए जाने के बाद नगरपालिका के अधिकारी झूठ का सहारा लेते हैं। अक्सर घरों को ढेर करने के बाद कहते हैं कि घर अवैध थे, इसलिए तोड़े गए हैं। मुंबई में इस बार ऐसा ही हुआ।
सवाल यह है कि क्या बुलडोजर न्याय को न्याय कहा जा सकता है? इस सवाल को जवाब मैं खुद देना चाहती हूं इसलिए कि जब भी इस तरह का न्याय देखने को मिलता है मेरा सर शर्म से झुक जाता है। एक गर्वान्वित भारतीय होने के नाते मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता है जब न्यायालयों की जगह बुलडोजर ले लेते हैं। जब न्यायाधीशों की जगह नगर पालिका के मामूली अधिकारी ले लेते हैं। यहां यह भी कहना जरूरी है कि अपने प्रिय प्रधानमंत्री की बदनामी जब भी होती है अन्य लोकतांत्रिक देशों में तो तब होती है जब दुनियावाले देखते हैं कि बुलडोजर ज्यादातर भेजे जाते हैं मुस्लिम घरों को तोड़ने।
इस किस्म के न्याय से मोदी साबित करते हैं दो चीजें। एक तो यह कि उनका ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ वाला नारा झूठा है। दूसरा यह कि उनको लोकतांत्रिक संस्थाओं की कोई कदर नहीं है। लोकतंत्र के ढांचे को खड़ा रखने के लिए चार खंभे हैं, जिनमें से न्याय प्रणाली को सबसे महत्त्वपूर्ण इसलिए माना जाता है, क्योंकि जिन देशों में न्याय प्रणाली का सम्मान नहीं होता है वहां लोकतंत्र भी नहीं होता है।
निजी तौर पर मुझे बुलडोजर न्याय से बहुत तकलीफ है। मैं हमेशा अपने घर देखती हूं बुलडोजर के बेरहम पंजों की जकड़ में और सोचती हूं कि अगर मेरे साथ ऐसा कभी हो तो मेरे जीवन की तमाम यादें टूट जाएंगी। इसलिए कि वो चीजें मुझसे हमेशा छीन ली जाएंगी जो दोबारा वापिस नहीं लाई जा सकती हैं। मेरे बेटे की बचपन की तस्वीरें, मेरी पुरानी किताबें, मेरे वे पुराने लेख, जो मैंने दशकों से संभाल के रखे हैं और जिनको अभी तक डिजिटल नहीं कर पाई हूं।
इन चीजों के साथ बहुत सारी और चीजें जो कभी वापिस नहीं आ सकती हैं। क्या बिलकुल ऐसा नहीं होता है उन लोगों के साथ जिनके घर टूट गए हैं बुलडोजरों तले? क्या ऐसा करने से उनके पूरे परिवार को दंडित करने का काम नहीं होता है? अक्सर टूटे हैं गरीबों के घर जिनमें दोबारा अपना जीवन शुरू करने की कोई गुंजाइश नहीं है।
राम राज में न्याय का स्थान इतना ऊंचा था कि जब अयोध्या के लोगों ने राम भगवान की पत्नी के चरित्र पर शक किया तो प्रभु राम ने अपने परिवार की खुशी से ऊपर न्याय को रखा। न्याय का इतना ऊंचा स्थान था, उस हजारों सदियों पुराने दौर में कि प्रभु राम ने खुद 14 वर्ष वनवास इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि अपने पिता द्वारा सौतेली मां कैकेयी से किए गए वचन का सम्मान रखना उन्होंने अपना दायित्व समझा। बिना न्याय के राम राज्य हो नहीं सकता।
आज जब हम एक नए राम राज्य की बातें कर रहे हैं क्या उम्मीद कर सकते हैं कि न्यायालयों की जगह जो बुलडोजर ले चुके हैं, इस शर्मनाक प्रथा को बंद करने का काम करेंगे नरेंद्र मोदी? क्या मोदी गारंटी करने को तैयार हैं कि भविष्य में किसी भी भाजपा शासित राज्य में बुलडोजर न्याय नहीं होगा? उम्मीद इसकी मुझे वैसे है नहीं ज्यादा, क्योंकि अभी तक यह देखा गया है कि जहां भी मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी के होते हैं वहां बुलडोजर न्याय पूरी तरह स्थापित किया गया है। लेकिन फिर भी उम्मीद करती हूं कि भविष्य में न्याय प्रणाली इस तरह बुलडोजर के नीचे कुचली नहीं जाएगी।