Jamia Millia Islamia University: सैय्यदना मुफद्दल सैफुद्दीन को जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के अंजुमन (न्यायालय) के सदस्यों ने सर्वसम्मति से यूनिवर्सिटी का चांसलर चुना है। उन्हें 14 मार्च से पांच साल की अवधि के लिए चुना गया है। सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने नजमा हेपतुल्ला की जगह ली है। हेपतुल्ला ने पिछले साल विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। सोमवार को हुई कोर्ट की बैठक में यह अहम फैसला लिया गया। जामिया कोर्ट में 45 सदस्य हैं, जिनमें तीन सांसद हैं। जामिया मिलिया इस्लामिया ने कहा कि मेधावी और प्रशंसनीय साख वाले एक शानदार नेता हैं। डॉक्टर सैय्यदना सैफ़ुद्दीन बोहरा समुदाय के 53वें धर्मगुरु हैं। वो साल 2014 से ये पद संभाल रहे हैं।
जामिया के अनुसार, ‘डॉक्टर सैय्यदना मुफ़द्दल बोहरा के बारे में बताया गया है कि उन्होंने अपना जीवन समाज की बेहतरी के लिए समर्पित कर दिया। इस दौरान उन्होंने शिक्षा, पर्यावरण, समाजिक-आर्थिक पहलुओं पर खास काम किया।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में बोहरा समुदाय के एक कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन से मुलाकात की थी।
मिस्त्र की अल-अजहर यूनिवर्सिटी से हासिल की तालीम
सैय्यदना सैफुद्दीन की अगर शिक्षा की बात करें तो उन्होंने गुजरात के सूरत के अल-जामिया-तुल सैफियां से तालीम (शिक्षा) हासिल की। सैफुद्दीन ने मिस्त्र की अल-अजहर यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की। उन्होंने मुंबई में अल-जामिया तुस सैफ़ियां के नए कैंपस का 10 फ़रवरी 2023 को उद्घाटन भी किया था।
कौन हैं डॉ. सैय्यदना मुफद्दल सैफुद्दीन
डॉक्टर सैय्यदना मुफद्दल सैफ़ुद्दीन दाऊदी बोहरा समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु हैं। इस समुदाय की विरासत फातिमी इमामों से जुड़ी है, जिन्हें पैगंबर हजरत मोहम्मद का वंशज माना जाता है। यह समुदाय मुख्य रूप से इमामों के प्रति ही अपना अकीदा (श्रद्धा) रखता है। दाऊदी बोहराओं के 21वें और अंतिम इमाम तैय्यब अबुल कासिम थे। उनके बाद 1132 से आध्यात्मिक गुरुओं की परंपरा शुरू हो गई, जो दाई-अल-मुतलक सैय्यदना कहलाते हैं।
दाई-अल-मुतलक का मतलब है- सुपर अथॉरिटी यानी सर्वोच्च सत्ता जिसके निजाम में कोई भी भीतरी या बाहरी शक्ति दखल नहीं दे सकती या जिसके आदेश-निर्देश को कहीं भी चुनौती नहीं दी जा सकती। सरकार या कोर्ट के सामने भी नहीं। सैफुद्दीन अपने समुदाय के धर्मगुरु हैं, लेकिन उनका रुतबा शासकों जैसा है।
मुंबई में भव्य और विशाल ‘सैफी महल’ में अपने विशाल कुनबे के साथ रहते हुए वे खुद तो हर आधुनिक भौतिक सुविधाओं का उपयोग करते हैं, लेकिन अपने सामुदायिक अनुयायियों पर शासन करने के उनके तौर तरीके मध्ययुगीन राजाओं-नवाबों की तरह हैं। उनकी नियुक्ति भी योग्यता या लोकतांत्रिक ढंग से नहीं, बल्कि वंशवादी व्यवस्था के तहत होती है, जो कि इस्लामी उसूलों के अनुरूप नहीं हैं। डॉक्टर सैफ़ुद्दीन जिस समुदाय के धार्मिक नेता हैं, उसे आम तौर पर पढ़ा-लिखा, मेहनती, कारोबारी और समृद्ध होने के साथ ही आधुनिक जीवनशैली वाला माना जाता है। इसे एक धर्मभीरू समुदाय भी माना जाता है।
मुफद्दल सैफुद्दीन ने साहित्यिक कृतियां और कविताएं लिखी
उन्होंने समुदाय की स्थानीय भाषा ‘लिसन अल-दावत’ में उत्कृष्ट साहित्यिक कविताएं भी लिखी हैं। वह देश और दुनिया भर में परोपकारी कार्य करते रहे हैं। उन्होंने स्थायी कृषि प्रणाली की शुरुआत की, स्थानीय बुनियादी ढांचे को बढ़ाया और यमन में लड़कियों और लड़कों दोनों को शिक्षा की समान रूप से वकालत की।
भारत के किन राज्यों में रहता है बोहरा समुदाय
बोहरा गुजराती शब्द ‘बहौराउ’ का अपभ्रंश है जिसका अर्थ होता है व्यापार। यह समुदाय मुस्ताली मत का हिस्सा है जो धर्म प्रचारकों के जरिए ग्यारहवीं शताब्दी में उत्तरी मिस्र से भारत पहुंचा। 1539 के बाद जब भारत में इस समुदाय का विस्तार हो गया तो ये लोग अपना मुख्यालय यमन से भारत के सिद्धपुर (गुजरात) में ले आए। भारत में दाऊदी बोहरा मुख्य रूप से गुजरात में सूरत, अहमदाबाद, वडोदरा, जामनगर, राजकोट, नवसारी, दाहोद, गोधरा, महाराष्ट्र में मुंबई, पुणे, नागपुर औरंगाबाद, राजस्थान में उदयपुर, भीलवाड़ा, मध्य प्रदेश में इंदौर, बुरहानपुर, उज्जैन, शाजापुर के अलावा कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू और हैदराबाद में निवास करते हैं।