कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध जारी है। पिछले चार महीने से भी अधिक समय से देशभर से आए किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। कृषि बिलों से जुड़े मुद्दे पर टीवी डिबेट के दौरान जब भाजपा प्रवक्ता ने कृषि बिलों को देश की जरूरत बताया तो स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव कहने लगे कि एमएसपी कहां है। साथ ही योगेंद्र यादव ने कहा कि मंडियों में मोदी जी का चेहरा दिखाकर किसानों को एमएसपी नहीं मिलेगा। इसके लिए कानून की जरूरत होगी।
एनडीटीवी पर आयोजित डिबेट शो में भाजपा प्रवक्ता अनिल सरीन ने कहा कि बिल में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा हुआ है कि मंडियां खत्म हो जाएगी। इस बिल में किसानों को यह सुविधा दी गई है कि वह अपनी फसल कहीं भी बेच सके। आगे सरीन ने कहा कि संसद में प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री ने मंडियों और एमएसपी के संबंध में कह दिया है कि यह दोनों पुराने तरीके से ही चलती रहेगी। साथ ही भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह बिल देश के किसानों की जरूरत है।
भाजपा प्रवक्ता की इन बातों का जवाब देते हुए स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार की व्यवस्थाएं ऐसे ही ख़त्म की जाती है। क्या सरकार ने पोस्टल डिपार्टमेंट को ख़त्म करने के लिए कोई आर्डर निकाला था। सरकार ने कुरियर सर्विस के आने का रास्ता साफ़ किया और पोस्टल डिपार्टमेंट ख़त्म हो गया। आगे योगेंद्र यादव ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री की बात से पूरी तरह सहमत हूं। लेकिन जब किसान बाजार में फसल बेचने जाएंगे तो उन्हें एमएसपी को पाने के लिए कानून दिखाना होगा ना कि प्रधानमंत्री का वीडियो।
इसके अलावा योगेंद्र यादव ने कहा कि क्या यह सच नहीं है कि सरकारी मंडियों में सभी तरह के टैक्स लगेंगे और प्राइवेट मंडियों में किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगेगा। यदि इससे सरकारी मंडियां ख़त्म नहीं होंगी तो और क्या होगा। साथ ही योगेंद्र यादव ने भाजपा प्रवक्ता से सवाल पूछते हुए कहा कि आप कह रहे हैं कि इन कानूनों के जरिए आप किसानों का भला करना चाहते हैं। लेकिन आपने इन कानूनों को लाने से पहले किन किसान संगठनों के साथ बातचीत की।
वहीं डिबेट में मौजूद रहे अकाली दल और कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता ने भी कहा कि इन कानूनों के जरिए सरकार बड़े व्यापारियों के लिए कृषि क्षेत्र में आने का रास्ता बना रही है। व्यापारियों की सुविधा के लिए तीनों कानून बनाए गए हैं। बता दें कि पिछले चार महीने से भी अधिक समय से किसान दिल्ली से सटे सीमाओं पर डटे हुए हैं। किसान संगठनों ने मई महीने में संसद कूच का भी ऐलान किया है।