भारत पाक एनएसए स्तरीय बातचीत की स्थिति अभी भी अधर में लटकी हुई है और दोनों ही पक्ष इस बारे में पहले कुछ कहने से बच रहे हैं हालांकि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान अगर कश्मीर पर चर्चा पर दबाव बनायेगा और कश्मीरी अलगाववादियों से सम्पर्क करेगा तब बातचीत नहीं हो पायेगी।

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सरताज अजीज के यहां आने के 24 घंटे से भी कम समय रह गया है जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि पाकिस्तान को दो मुद्दों पर स्पष्ट आश्वासन देने की जरूरत है। ये दो मुद्दें हैं कि कश्मीर पर चर्चा का दबाव नहीं बनाना और कश्मीरी अलगाववादियों से बात नहीं करना।

यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान ने अगर अलगाववादियों से नहीं मिलने और कश्मीर का मुद्दा नहीं उठाने की बात नहीं मानी तब क्या होगा, सुषमा ने दो टूक कहा, ‘‘ बातचीत नहीं होगी।’’

सुषमा ने बार बार कहा कि वह अजीज और उनके भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल के बीच सोमवार को होने वाली बातचीत के लिए कोई पूर्व शर्त नहीं रख रही हैं। उन्होंने कहा कि वह केवल शिमला समझौते की भावना की याद दिला रही है जिसमें दोनों देशों ने मुद्दों को द्विपक्षीय आधार पर निपटाने की प्रतिबद्धता जतायी है। साथ ही हाल ही में उफा में हुयी सहमति की भी याद दिला रही हैं जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ इस बात पर सहमत हुए थे कि दोनों देश के एनएसए केवल आतंकवाद पर चर्चा के लिए मिलेंगे।

सुषमा ने अजीज द्वारा इस्लामाबाद में प्रेस वार्ता करने के लगभग तीन घंटे बाद यहां मीडिया से बात की। अजीज ने अपनी प्रेस वार्ता में कहा था कि वे बिना किसी पूर्व शर्त के बातचीत के लिए दिल्ली जाने को तैयार हैं।

अजीज ने भारत सरकार के उस रुख की कड़ी आलोचना की कि जिसमें कहा जा रहा है कि उन्हें नयी दिल्ली जाने पर कश्मीरी अलगाववादियों से नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा कहना पाकिस्तान उच्चायोग द्वारा कल आयोजित किये जाने वाले समारोह के मेहमानों की सूची को नियंत्रित किये जाने जैसा है।

ये स्पष्ट है कि दोनों पक्षों में से कोई भी बातचीत को रद्द करने की तोहमत अपने ऊपर नहीं लेना चाहता है हालांकि वार्ता होने की गुंजाइश तेजी से कम होती जा रही है।

हुर्रियत को भारत-पाक वार्ता में पक्ष नहीं बनाये जाने की भारत की प्रतिबद्धता इसी से समझी जा सकती है कि अलगाववादी नेता शब्बीर शाह को आज सुबह दिल्ली आने के तुरंत बाद हिरासत में ले लिया गया। शाह कल पाकिस्तानी उच्चायोग में अजीज के लिए आयोजित स्वागत समारोह में उपस्थित होने वाले थे।

सुषमा ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि भारत के साथ बातचीत का विरोध करने वाली पाकिस्तान की ‘ज्ञात शक्तियों’ के दबाव में उसने एनएसए वार्ता को दरकिनार करने का रास्ता ढूंढना शुरू किया क्योंकि उफा से लौटने के बाद नवाज शरीफ की अपने ही देश में तीखी आलोचना शुरू हो गई थी।

विदेश मंत्री ने गेंद पाकिस्तान के पाले में डालते हुए कहा कि भारत नहीं बल्कि ये पाकिस्तान है जो बातचीत से भाग रहा है। अगर हुर्रियत नेताओं को अलग रखा जाए और अजीज द्वारा आतंकवाद के अतिरिक्त अन्य मुद्दों पर जोर नहीं दिया जाए तो उनका यहां वार्ता के लिए आने का स्वागत है।

उन्होंने कहा कि इस बारे में हम आश्वस्त होंगे तभी तो बातचीत के लिए आगे बढ़ेंगे। बातचीत का विरोध करने वाली पाकिस्तान की ‘ज्ञात शक्तियों’ के संदर्भ में सुषमा ने कहा कि भारत का राजनीतिक नेतृत्व दबाव को झेल लेता है लेकिन पाकिस्तान का नेतृत्व ऐसा नहीं कर पाता है।

उन्होंने कहा कि उफा के बाद 91 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन करने पर पाकिस्तान के साथ एनएसए वार्ता को रद्द करने का विपक्ष द्वारा भारतीय नेतृत्व पर दबाव पड़ा। इसके बाद गुरदासपुर और उधमपुर में हुए आतंकी हमलों के बाद भी ऐसा दबाव बना लेकिन सरकार उस दबाव को भी झेल गई क्योंकि वह चाहती है कि बातचीत का सिलसिला चले और मुद्दों का समाधान हो।

यह पूछे जाने पर कि क्या अजीज भारत आयेंगे, उन्होंने कहा, ‘‘ ये दोनों बातें उन्हें स्वीकार हो तो वे आएं। …हम आश्वस्त होंगे कि आतंकवाद के अलावा अन्य मुद्दा नहीं उठेगा और तीसरे पक्ष (कश्मीरी अलगाववादियों) से नहीं मिलेंगे, तभी तो बात होगी।’’

सुषमा ने भारत पाकिस्तान की वार्ताओं को किसी तीसरे देश में आयोजित किये जाने की बात को भी सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्री ने बताया कि उफा में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के मध्य भारत और पाक के बीच तीन तरह की बैठकें आयोजित करने पर सहमति बनी जिसमें आतंकवाद पर एनएसए स्तरीय, सीमा पर शांति के बारे में बीएसएफ और पाकिस्तानी रेंजर्स के महानिदेशकों के स्तर की बैठक और संघर्ष विराम के उल्लंघन के विषय पर डीजीएमओ स्तर की वार्ता शामिल है।

सुषमा ने कहा कि यहां तक कि एनएसए स्तर की बातचीत की तिथियों की पुष्टि के बारे में भारत को जवाब देने में देरी की गई। ‘‘ हमने बातचीत के लिए प्रस्तावित तारीख के संबंध में उन्हें एक पत्र 23 जुलाई को लिखा लेकिन इसका जवाब 22 दिन बाद 14 अगस्त को आया।’’

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने अब तक डीजीएमओ स्तर की बैठक की तारीख के बारे में नहीं बताया। विदेश मंत्री ने कहा कि बीएसएफ और पाकिस्तानी रेंजर्स के महानिदेशकों के बीच बैठक के बारे में यह सहमति बनी थी कि इसे जल्द से जल्द आयोजित किया जाए। पाकिस्तान ने छह सितंबर की तरीख का सुझाव शायद इस सोच के साथ दिया कि एनएसए स्तर की बातचीत नहीं होगी।

यह पूछे जाने पर कि अगर बातचीत रद्द होती है तब क्या भारत को निराशा होगी, सुषमा ने कहा, ‘‘जाहिर है, अगर आप दोस्ती की दिशा में कदम उठाते हैं और यह नहीं होती है तब निराशा सामान्य बात है।’’

उन्होंने कहा कि अगर बातचीत नहीं होती है, तो इससे संबंध समाप्त नहीं होंगे। ‘‘भारत पाक संबंध ऐसी सड़क की तरह है जो गढ्ढों से भरी हुई है। इसमें झटकें लगेंगे और सूराख होंगे लेकिन आप कुछ समय में वापस आ जायेंगे। कूटनीति में कोई पूर्ण विराम नहीं होता है, इसमें अर्द्धविराम और अल्पविराम होते हैं।’’

सुषमा स्वराज ने हालांकि स्पष्ट कर दिया कि एनएसए स्तर की बातचीत कंपोजिट डायलॉग या रिज्यूम्ड डायलॉग का हिस्सा नहीं है बल्कि यह उसका माहौल बनाने के लिए उफा में बनी सहमति का हिस्सा है।

मौजूदा माहौल में वार्ता को अर्थहीन बताये जाने की अजीज की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर सुषमा ने कहा, हम लोग तो उम्मीद से ही बैठे हैं, उन्हें उम्मीद न हो लेकिन बातचीत से हमेशा कुछ परिणाम निकलते हैं। ‘‘ इसी उम्मीद से हम बातचीत करते हैं।’’

विदेश मंत्री ने कहा कि अजीज ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वार्ता के लिए दिल्ली नहीं आने का मन वे पहले से बना चुके हैं। पाकिस्तान की आतंकी घटनाओं में रॉ की कथित भूमिका के बारे में भारत को डोजियर देने की अजीज की टिप्पणी पर उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि भारत केवल डोजियर नहीं देगा बल्कि आतंकी घटना में लिप्त एक ‘जीवित व्यक्ति’ को सबूत के तौर पर पेश करेगा।

उनका संकेत उधमपुर आतंकी हमले में पकड़े गए पाकिस्तानी नागरिक नावेद याकूब के बारे में था। यह याद दिलाये जाने पर कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हुर्रियत नेताओं और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के बीच भारत में मुलाकात की अनुमति दी थी, विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ बीती ताहि बिसार दे।’’