अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले को लेकर बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे इन दिनों सुर्खियों में छाए हुए हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि यदि पुलिस को सबूत मिल गया तो जमीन खोद कर रिया चक्रवर्ती को ढूंढ निकालेंगे। सोशल मीडिया पर गुप्तेश्वर पांडे को लेकर काफी चर्चा हो रही है।
इनसब के बीच शायद ये कम ही लोगों को मालूम होगा कि यह आईपीएस अधिकारी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए समयपूर्व स्वेच्छा से रिटायरमेंट ले चुका था। 1987 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी साल 2009 में बक्सर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्हें भाजपा से टिकट मिलने की उम्मीद थी।
चुनाव लड़ने की इच्छा के कारण ही उन्होंने मार्च 2009 में वीआरएस ले लिया। हालांकि, उनका चुनाव लड़ने का सपना पूरा नहीं हो पाया। चीजें गुप्तेश्वर पांडे की योजना के अनुसार नहीं घटित हुईं। गुप्तेश्वर पांडे को उम्मीद थी कि भाजपा अपने तत्कालीन सांसद लालमुनी चौबे का टिकट काट सकती है। ऐसे में उन्हें खुद को टिकट मिलने का भरोसा था।
हालांकि, टिकट कटने की आशंका को देखते हुए लालमुनी चौबे ने बगावती तेवर अपना लिए। आखिरकार पार्टी ने बगावत खत्म करने के लिए चौबे को ही बक्सर लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। नौ महीने बाद गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार सरकार से आवेदन किया कि उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेने की अनुमति दी जाए।
बिहार सरकार ने उनके आग्रह को स्वीकर करते हुए सेवा में वापस ले लिया। साल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें डीजीपी बनाया गया। 1961 में बक्सर में जन्मे गुप्तेश्वर पांडे ने पटना विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातक किया। यहां तक कि उन्होंने यूपीएससी परीक्षा भी संस्कृत में ही दी थी। उन्होंने अपने पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की और आयकर अधिकारी बन गए। अपने दूसरे प्रयास में, वे आईपीएस बने।
गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार में शराबबंदी में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने नक्सल प्रभावित औरंगाबाद, जहानाबाद के साथ ही अरवल, बेगूसराय और नांलदा में भी काम किया। वह मुंगेर और मुजफ्फरपुर रेंज के डीआईजी भी रहे। रोचक बात है कि अटल बिहार की सरकार के दौरान गुप्तेश्वर पांडे नागरिक उड्डयन मंत्री शाहनवाज हुसैन के ओएसडी भी रह चुके हैं।