Supreme Court Article 370: आर्टिकल 370 को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है। अनुच्छेद 370 को करने के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ अपना फैसला सुनाएगी। 2019 में इसके खिलाफ कुल 18 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिन पर 16 दिन सुनवाई हुई थी। जिसके बाद 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को अपना फैसला सुनाएगी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत सहित पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज फैसला सुनाएगी।
केंद्र ने किया आर्टिकल 370 को निरस्त करने के फैसले का बचाव
केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधान को निरस्त करने में कोई संवैधानिक धोखाधड़ी नहीं हुई थी। केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। केंद्र ने पीठ को बताया था कि जम्मू और कश्मीर एकमात्र राज्य नहीं था जिसका भारत में विलय दस्तावेजों के माध्यम से हुआ था, बल्कि कई अन्य रियासतों को भी 1947 में आजादी के बाद शर्तों के साथ भारत की संप्रभुता में सम्मिलित कर लिया गया था।
केंद्र ने यह भी तर्क दिया था कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू और कश्मीर की स्थिति केवल अस्थायी है और इसे राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। हालांकि, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें शुरू करते हुए कहा था कि अनुच्छेद 370 अब अस्थायी प्रावधान नहीं है और जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा के विघटन के बाद इसे स्थायित्व मिल गया है।
याचिकाकार्ताओं को कममू-कश्मीर के पक्ष में फैसले की उम्मीद
वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने कहा, ”हमें उम्मीद है कि फैसला जम्मू-कश्मीर के लोगों के पक्ष में होगा। हम शांति के पक्ष में हैं।” अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले याचिकाकर्ता और वकील मुजफ्फर इकबाल खान ने कहा, “हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर के लोगों की रक्षा करेगा क्योंकि इस फैसले का असर सिर्फ जम्मू-कश्मीर पर ही नहीं बल्कि देश की भावी पीढ़ियों पर पड़ेगा। इसका पूरे देश के राजनीतिक परिदृश्य पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा।”