सुप्रीम कोर्ट में जज के कक्ष के बाहर कुछ वकीलों ने बुधवार (18 मार्च, 2020) सुबह जमकर हंगामा किया। दरअसल बड़ी तादाद में वकीलों को कक्ष के बाहर आने से मना किया गया था। जब वकीलों को कक्ष के बाहर रोका गया तो उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। दरअसल घातक कोरोना के बचाव के चलते वकीलों को कक्ष में कम से कम दाखिल होने के लिए परामर्श जारी किया गया था। इस गाइडलाइन्स की नाफरमानी के बाद जज नाराज हो गए और उन्होंने कोर्ट बंद करने तक की चेतावनी दे दी।
दरअसल मध्य प्रदेश के सियासी संकट से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान इस तरह की घटना सामने आई है। उस वक्त बड़ी संख्या में वकील कोर्ट रूम में जा पहुंचे। तब काफी शोर- शराबा भी हो रहा था। इस पर नाराज जस्टिस ने कहा इतनी भीड़ क्यों हैं? बता दें कि ऐसे मामले में राजनीतिक पार्टियों के समर्थक वकील सुनवाई के दौरान पहुंच जाते हैं। उनका केस से भी कुछ लेना देना नहीं था। कोर्ट ने कहा कि इतनी बड़ी तादाद में वकीलों द्वारा भीड़ लगाना ठीक नहीं है। इसलिए वकील कोर्ट रूम तुरंत खाली कर दें।
न्यूज 18 इंडिया की खबर के मुताबिक जज ने कहा कि वकील खुद कोर्ट रूम खाली नहीं करते हैं तो एक आदेश जारी कर उन्हें बाहर निकाला जा सकता है। इसलिए केस से जुड़े लोग ही कोर्ट में ठहरें। कोर्ट के इस निर्देश के बाद वकीलों की भीड़ थोड़ी कम हुई।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा विधान सभा अध्यक्ष को बागी विधायकों के इस्तीफे सौंपे जाने के मामले की जांच की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ के समक्ष कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि उसके बागी विधायकों से बलपूर्वक और धमका कर ये इस्तीफे लिये गए हैं।
कांग्रेस ने दावा किया कि उसके विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफे नहीं दिए हैं। कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि उसके बागी विधायकों को चार्टर्ड उड़ान से ले जाया गया है और इस समय वे भाजपा द्वारा की गई व्यवस्था में एक रिजार्ट में हैं तथा उनसे संपर्क नहीं हो सकता है।
कांग्रेस के बागी विधायकों के इस्तीफों के मामले में भाजपा की भूमिका की ओर पीठ का ध्यान आर्किषत करते हुए दवे ने कहा कि होली के दिन भाजपा नेता विधानसभा अध्यक्ष के आवास पर पहुंचे और उन्हें 19 विधायकों के पत्र सौंपे। दवे ने यह भी दलील दी कि राज्यपाल को सदन में शक्ति परीक्षण कराने के लिए रात में मुख्यमंत्री या अध्यक्ष को संदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। दवे ने कहा, ‘अध्यक्ष सर्वेसर्वा है और मध्य प्रदेश के राज्यपाल उन्हें दरकिनार कर रहे हैं।’ (भाषा)