सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए एक्ट और ईडी के अधिकारों के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने ईडी की गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि ईडी को समन भेजने और गिरफ्तारी का अधिकार है। बता दें कि सर्वोच्च अदालत में दायर एक याचिका में PMLA एक्ट के कई प्रावधानों को कानून के खिलाफ बताया गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि 2018 में कानून में किए गए संशोधन सही हैं। अपने इस फैसले में शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय(ED) के सभी अधिकारों को बरकरार रखा है। बता दें कि ED के द्वारा सम्मन दिए जाने और बिना कारण बताए गिरफ्तारी के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगाई है। कोर्ट ने ईडी को गिरफ्तारी, सर्च और संपत्ति जब्‍त करने के अधिकार को सही माना है।

इसके अलावा कोर्ट ने PMLA एक्ट में बेल की शर्तों को भी वैध ठहराया है। इसके तहत आरोपी को ECIR की कॉपी देना ज़रूरी नहीं है। याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बताई गई खामियों को दूर करने के लिए संसद वर्तमान स्वरूप में धारा 45 में संशोधन करने के लिए सक्षम है।

कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 5, 8(4), 15, 17 और 19 के प्रावधानों की संवैधानिकता को बरकरार रखा है। ये प्रावधान ईडी की गिरफ्तारी, कुर्की, तलाशी और जब्ती की शक्तियों से संबंधित हैं। याचिकाओं में कहा गया कि जांच एजेंसी को जांच करते समय सीआरपीसी का पालन करने के लिए बाध्य होना चाहिए। बता दें कि इस मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी समेत कई वकीलों ने अपना पक्ष रखा था।

याचिका को लेकर सरकार की तरफ से कहा गया कि लोगों ने ईडी की कार्रवाई से बचने के लिए इस तरह की याचिका दायर की है। इस कानून की मदद से विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहूल चौकसी जैसे लोगों से अबतक बैंकों के 18 हजार करोड़ रूपए वसूल किये गए हैं।

वहीं अदालत के इस फैसले पर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए और ईडी के अधिकार क्षेत्र को बरकरार रखा है। कानून अपना काम कर रहा है और एक परिवार को कानून से ऊपर रखने की कांग्रेस पार्टी की कोशिश काम नहीं करेगी। हमें देश के कानून का सम्मान करना चाहिए।