Supreme Court to Election Commission: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उसके पास उपलब्ध मतदान की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग उस जनहित याचिका के लंबित रहने के दौरान मिटाई न जाए, जिसमें प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1,200 से बढ़ाकर 1,500 करने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी गई है।
सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली दो न्यायाधीशों की पीठ ने यह बात तब कही, जब चुनाव आयोग की ओर से उपस्थित वकील ने याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा। पीठ ने कहा कि प्रतिवादी संख्या 1 की ओर से पेश वकील हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय की मांग कर रहे हैं… हलफनामा आज से तीन सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए… यदि कोई जवाब हो तो उसे उक्त हलफनामे की सेवा के बाद तीन सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए। हम प्रतिवादी संख्या 1 को सीसीटीवी रिकॉर्डिंग बनाए रखने का निर्देश देना उचित समझते हैं, जैसा कि वे पहले कर रहे थे।
जब मामले की आखिरी सुनवाई 2 दिसंबर को हुई थी, तब चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 1,500 (प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की अधिकतम संख्या) की सीमा 2019 से लागू की जा रही है। और मताधिकार को लेकर कोई समस्या नहीं है। लोगों ने कहीं कोई शिकायत नहीं की है।
पीठ के इस सवाल पर कि यदि मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या 1,500 से अधिक हो जाती है तो क्या होगा? चुनाव आयोग के वकील ने कहा था कि व्यवस्था में यह प्रावधान है कि चुनाव से पहले, मतदान-पूर्व आदि प्रक्रिया शुरू हो जाती है, और प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में राजनीतिक दलों से परामर्श किया जाता है।
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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि आप एक संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करें। स्थिति स्पष्ट करें, क्योंकि हम चिंतित हैं कि किसी भी मतदाता को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया था, लेकिन शुक्रवार को चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय मांगा। जनहित याचिका में याचिकाकर्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता इंदु प्रकाश सिंह ने दावा किया कि मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के निर्वाचन आयोग के निर्णय से मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें लग सकती हैं और वंचित वर्ग मतदान करने से कतराएगा, क्योंकि वे मतदान के लिए पर्याप्त समय नहीं निकाल पाएंगे।
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