सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कई राज्यों में जारी बुलडोजर कार्रवाई को लेकर कड़ी नाराजगी जताई। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साफ किया कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना ठीक नहीं है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर कोई आरोपी है तो उसका घर कैसे गिराया जा सकता है। और अगर वह दोषी है तो भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस पर सहमति जताते हुए कहा कि अगर दोष साबित हो जाए तब भी घर गिराने की कार्रवाई को सही नहीं ठहराया जा सकता है।
सड़कों पर कब्जा जमाने पर भी अदालत सख्त
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह सार्वजनिक सड़कों को बाधित करने वाले किसी भी अवैध ढांचे को संरक्षण नहीं देगा। कोर्ट ने संबंधित पक्षों से सुझाव देने को कहा ताकि शीर्ष अदालत अचल संपत्तियों के विध्वंस से संबंधित मुद्दे पर पूरे देश के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी कर सके।
सुप्रीम कोर्ट की यह सुनवाई उदयपुर में कक्षा 10 के एक छात्र के अवैध रूप से निर्मित घर को ध्वस्त करने के कुछ सप्ताह बाद हो रही है। छात्र पर अपने सहपाठी को चाकू मारने का आरोप है। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं थीं।
मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सुनवाई शुरू की। अदालत ने बुलडोजर कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना किसी भी रूप में सही नहीं है। अदालत ने साफ किया कि अगर कोई दोषी भी है तो उसके घर को नहीं गिराया जा सकता है। अदालत की टिप्पणी पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सहमति जताते हुए कहा कि जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई है, वे अवैध कब्जे या अवैध निर्माण के कारण गिराए गये हैं।
अदालत जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में किसी भी मामले पर आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने हाल ही में यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाया। याचिका में आरोप लगाया गया कि समाज में हाशिए पर पड़े लोगों, खासकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न का चक्र चलाने और उन्हें डराने के लिए राज्य सरकारें उनके घरों और संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने को प्रोत्साहित कर रही हैं।