सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के जारी उस सर्कुलर पर गुरुवार को रोक लगा दी, जिसमें सरकार या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य मंत्रियों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी खबर के लिए मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि के मामले दायर करने की बात कही गई थी। इसके साथ ही अदालत ने केजरीवाल से यह बताने के लिए कहा है कि इस तरह का सर्कुलर क्यों जारी किया गया?
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत के पीठ ने कहा कि (केजरीवाल को) नोटिस जारी करो। हालांकि अदालत के अगले आदेश तक हम अंतरिम उपाय के तहत छह मई 2015 के सर्कुलर पर रोक लगाने का निर्देश देते हैं। इसलिए, इस पर रोक लगाई जाती है। अदालत ने केजरीवाल से पूछा है कि सूचना निदेशालय ने इस तरह का सर्कुलर क्यों जारी किया? अदालत ने छह हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई आठ जुलाई के लिए अधिसूचित की है।
अदालत का यह आदेश वकील अमित सिब्बल की याचिका पर आया है। इसमें उन्होंने एक निचली अदालत में चल रहे मानहानि के मामले की कार्यवाही पर शीर्ष अदालत की लगाई गई रोक हटाने का अनुरोध किया था। केजरीवाल और अन्य के खिलाफ पटियाला हाउस अदालत में आपराधिक मानहानि की शिकायत करने वाले सिब्बल ने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री मानहानि के लिए बने दंड कानूनों को दरकिनार करने की मांग करते हैं और दूसरी ओर वे ऐसा सर्कुलर जारी करते हैं।
याचिका में कहा गया है-इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि याचिकाकर्ता (केजरीवाल) ने अपने शपथपत्र में यह घोषणा की है कि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं। हालांकि यह सर्कुलर प्रत्यक्ष तौर पर मौजूदा याचिका में उनके अपनाए गए रुख से परस्पर विरोधी है और उसकी गंभीरता को कम करता है। इसके साथ ही याचिका में कहा गया कि केजरीवाल के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर लगाई गई रोक को हटाया जाए।
राज्य सूचना व प्रचार विभाग की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया था कि अगर दिल्ली सरकार से जुड़े किसी अधिकारी को लगता है कि किसी प्रकाशित या प्रसारित सामग्री ने उसकी या सरकार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है तो उसे प्रधान सचिव (गृह) के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए। सर्कुलर यह भी कहता है कि निदेशक (अभियोजन) की ओर से मंजूरी मिलने पर मामले को विधि विभाग के पास भेजा जाना चाहिए और सरकार से मंजूरी मिलने के बाद मामला दायर किया जाना चाहिए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल के खिलाफ निचली अदालतों में चल रहे आपराधिक मानहानि के मामलों की कार्यवाहियों पर रोक लगाई थी। अदालत ने मानहानि से जुड़े दंडात्मक प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई का फैसला करते हुए यह रोक लगाई थी। दिल्ली हाई कोर्ट में भी बुधवार को एक जनहित याचिका दायर करके सरकार के सर्कुलर को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।