Supreme Court on ED: पश्चिम बंगाल के कैश फॉर स्कूल जॉब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के केस में प्रवर्तन निदेशालय ने शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया गया था। इसको लेकर पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कुछ अहम सवाल पूछे और कहा कि आरोपी को बिना ट्रायल के कब तक हिरासत में रखा जा सकता है, क्योंकि वे 2 साल चार महीने से जेल में बंद हैं।

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से जुड़े इस केस को लेकर कहा कि अगर ईडी के केसों में सजा का प्रावधान 60-70 फीसदी होता तो समझ आता, लेकिन सजा की दर बहुत कम है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई और ईडी दोनों से केस को लेकर डिटेल मांगी है।

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सुप्रीम कोर्ट कब सुनाएगा फैसला?

बंगाल के पूर्व मंत्री की जमानत याचिका को लेकर अब अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी। जब केंद्रीय जांच एजेंसीज सुप्रीम कोर्ट के सामने विस्तृत रिपोर्ट दे देंगी, उसके बाद सुप्रीम कोर्ट जमानत याचिका पर अपना फैसला देगा।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने पार्थ चटर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल में सहायक प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में रिश्वतखोरी के आरोपों पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।

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मुकुल रोहतगी ने की पूर्व मंत्री की पैरवी

सुनवाई के दौरान चटर्जी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता जमानत चाहते हैं और उसे 23 जुलाई 2022 को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ और 183 गवाह हैं और 4 पूरक अभियोजन शिकायतें हैं। उनकी उम्र 73 साल है।

सुनवाई के दौरान बेंच के दौरान जस्टिस भुइयां ने कहा कि अगर अंतिम विश्लेषण में उनको दोषी ठहराया जाता है तो क्या होगा। बीते 3 सालों का क्या होगा। आपकी सजा दर क्या है? अगर यह 60-70 प्रतिशत है, हम समझते हैं कि लेकिन यह बहुत खराब है।

ED की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मामले को केस-टू-केस आधार पर देखा जाना चाहिए। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था और पार्थ चटर्जी को जमानत देने से माना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी खबरों के लिए हमारे इस लिंक पर क्लिक करें।