Supreme Court: दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को 8 हफ्तों के भीतर आश्रय गृहों में भेजने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग का भी बयान सामने आया है। नजीब जंग ने कहा कि शीर्ष अदालत को अपने फैसले की समीक्षा करनी चाहिए।

न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए नजीब जंग ने कहा कि इसमें कई शक नहीं कि आवारा कुत्ते लोगों पर हमला करते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला जल्दबाजी में लिया गया है।

जंग ने कहा कि शीर्ष अदालत को अपने फैसले की समीक्षा करनी चाहिए। उन्हें एक कमेटी बनानी चाहिए। कमेटी में पशु प्रेमी, पशु चिकित्सक और नगर-निगम को शामिल हों। दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट से और समय देने का अनुरोध करना चाहिए।

वहीं, इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता मेनका गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई है। मेनका गांधी देश के सबसे बड़े पशु कल्याण संगठन पीपल फॉर एनिमल्स की संस्थापक हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक लेटेस्ट इंटरव्यू में आदेश के क्रियान्वयन को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि नगर निगमों को दिल्ली में तीन लाख कुत्तों को शेल्टर होम्स में रखना होगा। इसके लिए उन्हें करीब 3000 से ज्यादा शेल्टर होम्स बनाने होंगे।

मेनका गांधी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश कि क्रियान्वयन के लिए शेल्टर होम्स को ऐसी जगह बनाना होगा, जहां आवासीय कॉलोनियां न हों, या जहां कृषि वाली भूमि नहीं हो। इसके अलावा क्रियान्वयन में होने वाले खर्च को लेकर कहा कि रसोईघर बनाना होगा। चौकी दार रखना होगा और मलमूत्र को साफ करने के लिए हर जगह कम से कम पांच लोग रखने होंगे। इसके लिए बिजली से लेकर केनेल और अन्य व्यवस्था करनी होगी। इसमें हर हफ्ते करीब तीन से चार और महीने में 15 करोड़ रुपये तक का खर्च आएगा।

आवारा कुत्तों की जरूरते पूरी होने के सवाल पर मेनका गांधी ने कहा कि जिन कुत्तों को वो उठाते हैं, उनमें से कुछ को टिक फीवर होगा, कुछ को डिस्टेम्पर होगा। कोई गर्भवती होगी। वे उन्हें कैसे अलग करेंगे। शहर में आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर मेनका गाधी ने कहा कि एमसीडी की वजह से यह एक राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है जिसने यह समस्या पैदा की है; उनके कुप्रबंधन ने यह बड़ी समस्या पैदा की है।

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मेनका गांधी ने कहा, “एमसीडी कह रही है कि हमारे पास 77 जगहें हैं, जहां कुत्तों को रखा जा सकता है। ये 77 जगहें 20 सालों से बेकार पड़ी हैं, इनका आकार क्या है? इनमें से कोई भी अस्पताल नहीं है, बल्कि एक डॉक्टर वाले क्लीनिक हैं और इनका आकार एक बेडरूम जितना है। आप इनमें कितने कुत्ते रखेंगे?”

बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजे जाने का सख्त आदेश दिया है। जिसके बाद डॉग लवर्स में काफी गुस्सा है।