जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने इस मामले में चीफ जस्टिस एसए बोबडे की पीठ के सामने इस मामले को उठाया था।

उन्होंने शीर्ष अदालत की पीठ से इन घटनाओं का तुरंत संज्ञान लेने की अपील की थी। इंदिरा जयसिंह का कहना था कि देश में इस तरह के मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर मामले सामने आ रहे हैं। अदालत को इस मामले में स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। इस मामले में चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि हम अधिकारों का निर्धारण करेंगे लेकिन दंगों के माहौल में नहीं। पहले हिंसा रुकनी चाहिए।

इसके बाद हम इन मामलों पर संज्ञान लेंगे। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में मंगलवार को सुनवाई करेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि हम शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन और अधिकारों के खिलाफ नहीं हैं। सीजेआई ने कहा कि हम किसी को दोषी नहीं बता रहे हैं। सीजेआई ने कहा कि आप छात्र हैं तो इसलिए आपको हिंसा का अधिकार नहीं मिल जाता है।

वहीं, इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस मामले में तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे रजिस्ट्री की जरिये मामले को अदालत में रखें।