सुप्रीम कोर्ट ने अकादमिक सत्र 2016-17 के लिए एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों की अलग प्रवेश परीक्षाएं आयोजित कराने की इजाजत मांगने वाली राज्य सरकारों और अल्पसंख्यक संस्थानों की याचिकाएं खारिज कर दी हैं। न्यायालय ने कहा कि सिर्फ एनईईटी इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए परीक्षा मुहैया कराती है। शीर्ष न्यायालय ने सोमवार (9 मई) को अपने 28 अप्रैल के उस आदेश को संशोधित करने से इनकार कर सभी भ्रम को दूर कर दिया। इसमें इसने राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) के जरिए एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए एकल साझा प्रवेश परीक्षा कराने की केंद्र और सीबीएसई को इजाजत दी थी।

शीर्ष अदालत ने एक मई के ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (एआइपीएमटी) को एनईईटी माने जाने के लिए केंद्र, सीबीएसई और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) द्वारा अपने समक्ष रखे गए कार्यक्रम को मंजूरी दी थी। जिन छात्रों ने एआइपीएमटी के लिए आवेदन नहीं किया था उन्हें 24 जुलाई के एनईईटी में बैठने का अवसर दिया जाएगा और सम्मिलत नतीजा 17 अगस्त को घोषित किया जाएगा ताकि दाखिला प्रक्रिया 30 सितंबर तक पूरी हो जाए। एक मई को हुई एनईईटी-1 परीक्षा में करीब 6.5 लाख छात्र बैठे थे।

शीर्ष न्यायालय ने राज्य सरकारों, निजी मेडिकल कॉलेजों और वेल्लोर व लुधियाना स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेजों की यह दलील खारिज कर दी कि अलग प्रवेश परीक्षाएं कराने के लिए वे विधायी रूप से सक्षम हैं। न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया हम एनईईटी नियम में कोई कमजोरी इस आधार पर नहीं पाते हैं, जो राज्यों या निजी संस्थानों के अधिकारों को प्रभावित करती हों। किसी श्रेणी के आरक्षण के लिए विशेष प्रावधान न तो एनईईटी के लिए विषय है और न ही किसी भी तरह से अल्पसंख्यकों के अधिकार एनईईटी द्वारा प्रभावित होते हैं।

न्यायमूर्ति एआर दवे, न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की सदस्यता वाले एक पीठ ने कहा, ‘सिर्फ एनईईटी एमबीबीएस-बीडीएस पाठयक्रम में दाखिले की योग्यता के लिए प्रवेश परीक्षा मुहैया करती है। इसलिए हमने 28 अप्रैल 2016 को जारी आदेश में संशोधन की मांग करने वाली अर्जियों में कोई आधार नहीं पाया।’

शीर्ष न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जिन छात्रों ने या तो एनईईटी-1 के लिए आवेदन किया था लेकिन इसमें नहीं बैठ सके थे या जो बैठे थे लेकिन यह सोचकर पूरी तरह से तैयार नहीं थे कि तैयारी सिर्फ 15 फीसद अखिल भारतीय सीट के लिए होगी और अन्य परीक्षाओं में बैठने के लिए अवसर होगा।

पीठ ने कहा कि ऐसी आशंका को दूर करने के लिए भी हमने एनईईटी 2 में बैठने की इजाजत दी है। लेकिन इसके लिए उन उम्मीदवारों से विकल्प मांगा जाएगा कि एनईईटी-2 में बैठने पर उनका एनईईटी-1 की परीक्षा का परिणाम अमान्य हो जाएगा।