सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि एक तलाकशुदा बेटी भी अववाहित बेटी की तरह आश्रित पारिवारिक पेंशन की हकदार है। कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की अपील को खारिज करते हुए ये फैसला दिया है। सुनवाई में जस्टिस संजय किशन कौल और कृष्ण मुरारी की शीर्ष अदालत की पीठ ने 29 जुलाई, 2016 को हाई कोर्ट की एक खंडपीठ के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा विचार है कि लागू आदेश उस बेटी (तलाकशुदा) को लाभ देने के लिए एक प्रगतिशील और सामाजिक रूप से रचनात्मक दृष्टिकोण को अपनाता है जो अविवाहित बेटी के साथ समानता का व्यवहार करती है। हम इस विचार से पूरी तरह सहमत हैं।
बता दें कि स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना, 1980 के तहत पेंशन के लिए खजानी देवी की याचिका को रक्षा मंत्रालय ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि यह केवल आश्रित माता-पिता, विधवाओं और अविवाहित बेटियों पर लागू होता है। खजानी देवी एक तलाकशुदा हैं और एक स्वतंत्रता सेनानी की बेटी हैं।
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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील ने पीठ के समक्ष पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के साल 2016 के फैसले का भी हवाला दिया जिसमें उन्हें इसी तरह की राहत दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए इसे प्रगतिशील और सामाजिक रूप से रचनात्मक दृष्टिकोण वाला बताया।