सुप्रीम कोर्ट से ममता बनर्जी सरकार को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी जिसमें हाईकोर्ट ने साल 2022 में कर्मचारी चयन आयोग के तहत हुई भर्ती में अतिरिक्त पदों के सृजन को लेकर सीबीआई जांच चल रही थी। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि ये अतिरिक्त पद बंगाल सरकार की कैबिनेट ने मंजूर किया था और फिर राज्यपाल की मंजूरी भी ली थी।
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोर्ट का ये काम नहीं है कि वो कैबिनेट के फैसलों की जांच करे। हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान अतिरिक्त पदों के सृजन को अवैध करार देते हुए सीबीआई जांच का आदेश दिया था। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट किया है कि ये आदेश शिक्षक भर्ती के लिए पुराना फैसला बरकरार रहने वाला है।
शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में शिक्षा मंत्री को जेल
साल 2016 में 25000 शिक्षकों और की नियुक्ति मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया था। जिसको लेकर ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था। जिसको अभी भी बरकरार रखा है। ये भर्ती प्रक्रिया बंगाल एसएससी के तहत की थी। हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती में हुई धांधली को आधार बनाकर ये फैसला दिया था। इसी मामले में ममता सरकार के शिक्षा मंत्री रहे पार्थ चटर्जी को मंत्रीमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। जिसके बाद उनको जेल भी जाना पड़ा था।
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वहीं शिक्षक भर्ती को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीते सोमवार को कोलकाता में बर्खास्त हुए शिक्षकों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। इस दौरान ममता ने कहा कि भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश में भी व्यापम जैसा बड़ा घोटाला हुआ था। लेकिन उसी जांच में अभी तक किसी को सजा नहीं हुई। लेकिन हमने तो शिक्षक भर्ती मामले में शिक्षा मंत्री को तुरंत हटा दिया था। उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इसके साथ ही ममता ने नीट परीक्षा धांधली में कौन जेल गया।