Bihar SIR News: बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन Special Intensive Revision (SIR) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों से कहा कि वे SIR के दौरान वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट से बाहर रह गए लोगों की सहायता करें। अदालत बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

SIR को लेकर बिहार में अच्छा-खासा हंगामा हो चुका है। विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर आवाज बुलंद कर रहा है। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव सहित तमाम विपक्षी नेता SIR के खिलाफ यात्रा निकाल रहे हैं। बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने इस बात पर हैरानी जताई कि बिहार में राजनीतिक दलों के 1.60 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) हैं लेकिन चुनाव आयोग का कहना है कि इस मामले में केवल दो आपत्तियां दर्ज की गई हैं।

बिहार के 65 लाख मतदाताओं का क्या होगा

अदालत ने राजनीतिक दलों की ओर से दिए गए इस तर्क पर भी गौर किया कि बीएलए को अपनी आपत्तियां रखने की इजाजत नहीं दी जा रही है।

अदालत ने सभी 12 राजनीतिक दलों को निर्देश दिया कि वे बीएलए को निर्देश जारी करें कि वे मतदाताओं को वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए चुनाव आयोग द्वारा तय किए गए जरूरी डॉक्यूमेंट्स जमा करने में सहायता करें।

अदालत ने बीएलए से कहा कि वोटर लिस्ट की ड्राफ्ट सूची में शामिल नहीं किए गए 65 लाख लोगों को अपनी आपत्तियां रखने में मदद करें।

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आधार या 11 दस्तावेजों के साथ दावे दर्ज कराने की अनुमति

शीर्ष अदालत ने SIR के दौरान बाहर हुए व्यक्तियों को अपने दावे दर्ज कराने की अनुमति देने का निर्देश दिया। अदालत ने आधार कार्ड संख्या और SIR में स्वीकार्य 11 दस्तावेजों में से किसी एक के साथ दावा प्रस्तुत करने की अनुमति दी। शीर्ष अदालत ने 65 लाख व्यक्तियों के मतदाता सूची से बाहर होने से संबंधित मामले में आपत्तियां दर्ज कराने के लिए राजनीतिक दलों के आगे नहीं आने पर हैरानी जताई।

न्यायालय ने बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया कि वह अदालती कार्यवाही में राजनीतिक दलों को भी पक्षकार बनाएं। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ सितंबर की तारीख तय की है।

चुनाव आयोग ने मांगे 15 दिन

बेंच ने चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे मतदाता सूची से बाहर हुए व्यक्तियों के दावे भौतिक रूप से जमा कराने वाले राजनीतिक दलों के बूथ स्तर के एजेंटों को पावती रसीद उपलब्ध कराएं। चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने न्यायालय से आग्रह किया कि वह चुनाव आयोग को यह दिखाने के लिए 15 दिन का समय दे कि कोई भी नाम सूची से बाहर नहीं किया गया है। द्विवेदी ने कहा, “राजनीतिक दल शोर मचा रहे हैं। हालात खराब नहीं हैं। हम पर विश्वास रखें और हमें कुछ और समय दें। हम आपको दिखा देंगे कि कोई भी छूटा नहीं है।”

चुनाव आयोग ने बेंच को बताया कि ड्राफ्ट में शामिल नहीं किए गए लगभग 85,000 मतदाताओं ने अपने दावापत्र प्रस्तुत किए हैं और राज्य में SIR के तहत दो लाख से अधिक नए व्यक्ति मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आगे आए हैं।

बिहार में 2003 में SIR की प्रक्रिया हुई थी। हालिया SIR ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। SIR के पहले चरण के बाद बिहार में पंजीकृत मतदाताओं की कुल संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई है जो इस प्रक्रिया से पहले 7.9 करोड़ थी।

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