पिछले करीब एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों के साथ डटे किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि हमने कानून निर्धारित कर दिया है अब उसे लागू करना कार्यपालिका (सरकार) का काम है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह विरोध केवल तय जगहों पर ही किया जा सकता है, इसे सड़कों पर नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि हाईवे और सड़कों को जाम नहीं किया जाना चाहिए, इसको लेकर कानून पहले ही निर्धारित किया जा चुका है, इसे बार-बार नहीं दोहराया नहीं जाएगा, लागू करवाने की जिम्मेदारी कार्यपालिका की है।

सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के धरने को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि आखिर अब तक सड़क क्यों नहीं खाली कराई गई। कोर्ट ने कहा कि सरकार ये नहीं कह सकती है कि हम नहीं कर पा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को यूपी गेट पर दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर की गई नाकाबंदी खोलने की मांग वाली याचिका पर किसान संघों को पक्ष बनाने के लिए एक औपचारिक आवेदन दायर करने की अनुमति दी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि समस्याओं का समाधान न्यायिक मंच या संसदीय बहस के माध्यम से हो सकता है, लेकिन रास्तों को हमेशा के लिए रोका नहीं जा सकता है।

बताते चलें कि उच्च न्यायलय नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, याचिका के अनुसार नाकाबंदी पहले दिल्ली पहुंचने में 20 मिनट लगते थे और अब दो घंटे से ज्यादा समय लग रहा है और दिल्ली सीमा पर यूपी गेट पर विरोध प्रदर्शन के कारण इलाके के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।