अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त बनाने के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ ने इनकार कर दिया है। रोचक तथ्य ये है कि डबल बेंच ने कुछ देर तक एडवोकेट प्रशांत भूषण की दलीलें सुनीं। उनसे पूछा भी कि अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त बनाने का फैसला गलत कैसे है। फिर अचानक एक जज ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। ये मामला किसी दूसरी बेंच को जाएगा।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केएम जोसेफ ने इस मामले की सुनवाई आज की थी। हालांकि ये बात साफ नहीं हो सकी है कि जस्टिस जोसेफ ने सुनवाई से हाथ खड़े क्यों किए। एडवोकेट प्रशांत भूषण ने ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म) के जरिये एक जनहित याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि केंद्र ने अरुण गोयल को इस वजह से चुनाव आयुक्त बनाया क्योंकि वो सरकार के यस मैन थे। उनका ये भी कहना था कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करते समय कई योग्य अफसरों को नजरंदाज किया गया, क्योंकि सरकार अपनी हां में हां मिलाने वाले अफसर को चुनाव आयोग में देखना चाहती थी।
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने प्रशांत भूषण से सवाल किया जनहित याचिका क्यों दायर की
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने प्रशांत भूषण से सवाल किया कि इस मामले में जनहित याचिका कैसे दायर की जा सकती है। उनका सवाल था कि सरकार ने जो कुछ किया वो तब के नियमों के मुताबिक था। तब सरकार ने जो नियम चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए बनाए थे उनके हिसाब से ही सारा काम किया गया। प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी हवाला दिया जिसमें चुनाव आयोग को लेकर एक पैनल गठित किया गया है। इसके मुताबिक अब चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति एक पैनल के जरिये होगी, जिसमें प्रधानमंत्री, सीजेआई और नेता विपक्ष होंगे।
ध्यान रहे कि जिन पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने मार्च 2023 में चुनाव आयोग में होने वाली नियुक्ति के लिए पैनल गठित किया था, उसने टिप्पणी की थी कि वो खुद भी हैरत में हैं कि किस तेजी से अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त बना दिया गया। बेंच ने ये भी कहा था कि उन्हें भी लगता है कि गोयल की नियुक्ति में नियमों को दरकिनार किया गया। प्रशांत भूषण ने संवैधानिक बेंच के फैसला का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की दरखास्त की थी।
एडवोकेट ने सुप्रीम कोर्ट से Quo warranto के अधिकार का इस्तेमाल करने को कहा
प्रशांत भूषण ने अपनी याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट से Quo warranto के अधिकार का इस्तेमाल करने को कहा। Quo warranto एक याचिका है जिसके माध्यम से किसी सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति से यह पूछा जाता है कि उसने किस अधिकार या शक्ति के तहत अमुक काम किया है या निर्णय लिया है। जस्टिस नागरत्ना ने प्रशांत भूषण से पूछा कि वो किस बात को आधार बनाकर इसे इस्तेमाल करने के लिए कह रहे हैं।
प्रशांत भूषण ने जस्टिस नागरत्ना से कहा कि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने CVC (केंद्रीय सतर्कता आयोग के चीफ) पीवी थॉमस को उनके पद से हटाया उसी तरह से अरुण गोयल को भी पद से हटाए। उनका कहना था कि ये फैसला नियमों को दरकिनार कर लिया गया है। कोर्ट को फैसला करना चाहिए। उन्हें तत्काल प्रभाव से पद से हटाया जाना चाहिए।