सुप्रीम कोर्ट ने विधेयकों पर सहमति देने के लिए लंबित रखने पर पश्चिम बंगाल और केरल के राज्यपाल के खिलाफ पश्चिम बंगाल और केरल सरकार की याचिका पर दोनों राज्यपालों के कार्यालय को नोटिस जारी किया है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के ऑफिस को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत ने नोटस में पुछा है कि राज्य सरकारों द्वारा राज्यपालों को विधानसभा में पारित विधेयकों पर सहमति देने में में देरी को लेकर उनके सचिवों से जवाब मांगा है।
पश्चिम बंगाल सरकार और केरल सरकार की अलग-अलग याचिकाओं पर सर्वोच्च अदालत में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी परिदवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने दोनों राज्यपालों के सचिव के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी नोटिस जारी किया है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने रखीं दलीलें
केरल सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका को लेकर सीनियर वकील केके वेणुगोपाल ने पक्ष रखा तो वहीं पश्चिम बंगाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और जयदीप गुप्ता ने दलीलें पेश की। उन्होंने कहा कि जब भी किसी मामले को लेकर राज्यपाल से लिस्ट मांगा गया तो उन्होंने विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेज दिया।
इससे पहले पंजाब और तमिलनाडु के राज्यपाल पर लग थे आरोप
आपको बता दें कि ये पहला मामला नहीं है जब किसी राज्यपाल के खिलाफ ये आरोप हो। इससे पहले बीते साल नवंबर में इसी तरह की याचिका पंजाब और तमिलनाडु सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। दोनों ही सरकारों ने राज्यपाल पर विधेयक पर रोकने का आरोप लगाया था। इस मामले में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सख्त टिप्पणी देते हुए कहा था राज्यपाल इस बात का ध्यान रखें कि उनको जनता ने नहीं चुना है। ऐसी स्थिति में राज्य के लोगों के लिए लाए गए बिल को लटकाने का कोई औचित्य नहीं है।